देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में ऐसा अनर्थ हुआ कि पूरा देश महिलाओं की सुरक्षा के लिए सड़क पर आ गया. आज निर्भया केस को 7 साल पूरे हो चुके हैं और भी देश का हर व्यक्ति दोषियों की फांसी का इंतजार कर रहा है.
और पढ़े:भारत में कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति,डरे नहीं कैसे बचे जानिए
निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने ही दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने की बात कही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने पिछले फैसले में कहा था कि एक केस में सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है।
झारखंड में बिहारियों को आरक्षंण नहीं:हाई कोर्ट
दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी क्राइम में एक से अधिक दोषियों को फांसी सुनाई गई हो तब ऐसी परिस्थिति में किसी भी दोषी की याचिका लंबित हो तो सभी की फांसी रुक जाएगी। कानून के हिसाब से एक क्राइम में सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है।
निर्भया मामले में चार दोषी हैं। चारों ही दोषियों को दिल्ली कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है। इसी कानून का फायदा अब तक दोषी उठाते आ रहे हैं। हर बार डेथ वारंट जारी होने के बाद एक दोषी अपने कानूनी विकल्प को इस्तेमाल कर डेथ वारंट पर रोक लगवा लेता है जिससे फांसी टल जाती है। अब तक तीन बार डेथ वारंट जारी हो चुका है मगर दोषियों को सजा नहीं मिली है। हालांकि गुरुवार को फिर से चौथी बार डेथ वारंट जारी करने के लिए कोर्ट का रुख किया गया है। बता दें कि अब चारों दोषियों ने अपने-अपने सारे विकल्प इस्तेमाल कर चुके हैं।