बांग्लादेश दलित हिंदू हत्या: चंद्रशेखर आज़ाद की चुप्पी पर सवाल

बांग्लादेश दलित हिंदू हत्या की घटना के बाद भारत में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है। इस मामले में दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद की चुप्पी को लेकर समर्थकों और सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।

बांग्लादेश में एक दलित हिंदू नागरिक की कथित हत्या के बाद भारत में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। इस घटना को लेकर खास तौर पर दलित राजनीति के प्रमुख चेहरे और आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद (रावण) की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
https://en.wikipedia.org/wiki/Chandrashekhar_Azad_(politician)

चंद्रशेखर आज़ाद को देश में दलितों की आवाज़ और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। उनके समर्थकों का कहना है कि भारत में दलितों से जुड़े मुद्दों पर उनके एक बयान से बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरने को तैयार रहते हैं। ऐसे में बांग्लादेश में एक दलित हिंदू की हत्या पर उनकी ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया न आना, कई लोगों को असहज कर रहा है।

कुछ आलोचकों का यह भी आरोप है कि जब घटनाओं का धार्मिक या अंतरराष्ट्रीय आयाम जुड़ जाता है, तो कई नेता राजनीतिक नुकसान की आशंका के कारण चुप्पी साध लेते हैं। हालांकि, चंद्रशेखर आज़ाद या उनकी पार्टी की ओर से अब तक इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेतृत्व केवल समर्थन जुटाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि कठिन और संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्ट रुख लेना भी उसकी जिम्मेदारी होती है। वहीं समर्थकों का एक वर्ग यह तर्क भी देता है कि किसी अंतरराष्ट्रीय घटना पर प्रतिक्रिया देना या न देना नेता की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है।`

फिलहाल, बांग्लादेश की इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या सामाजिक न्याय की राजनीति को धर्म, देश और वोट बैंक से ऊपर रखकर देखा जाना चाहिए। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि चंद्रशेखर आज़ाद या उनकी पार्टी इस बढ़ती आलोचना पर क्या रुख अपनाती है।