जयपुर। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने कमर कस ली है वहीं कई ऐसे पार्टी है जो इस बार के विधानसभा में चुनाव लड़कर अपना राजनैतिक कॅरियर का खाता खोल रही है। जिसमें पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लुरल्स पार्टी प्रमुख है। बिहार राजनीति के तौर पर एक प्रयोगशाला है जिसपर केंद्र से लेकर हर राज्य के नेता की दृष्टी लगी हुई रहती है।
अगर बिहार में इस बार कुछ नए पार्टी अपने उम्मीदवार को जीताने में सफल रहें और सत्ता का हस्तांतरण हुआ तो निश्चिचत तौर पर देश की राजनीति में एक परिवर्तन का दौर शुरू होगा।
विधानसभा चुनाव में इस बार 79 नई पंजीकृत पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं
आपकों बता दें की इस बार बिहार चुनाव में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों से ज्यादा दम वो नई नवेली पार्टियां दिखा रही हैं, जिनका उदय कुछ महीने पहले ही हुआ है। ये नई और छोटी पार्टियां गठबंधन वाले राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
वो भी अकेले अपने दम पर। बिना परिणाम की परवाह किए हुए। चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार 79 नई पंजीकृत पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं।
कुल 87 नई पार्टियां मैदान में
बिहार चुनाव में इस बार 87 ऐसी पार्टियां हैं, जो नई हैं। इनमें से 79 पार्टियों के लिए ये पहला चुनाव है। जबकि आठ पूर्व के एक चुनाव में भाग ले चुकी हैं। इन 87 नई पार्टियों में करीब तीन दर्जन ऐसी हैं, जो बिहार की सभी 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी हैं।
ये बात अलग है कि उसमें से कुछ का नामांकन निरस्त हो चुका है। बावजूद इसके इन नई पार्टियों की हिम्मत की दाद देनी होगी कि उन्होंने बिना बड़े दलों, चुनावी समीकरण और गठबंधनों की परवाह किए, सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई है।
सिम्बल भी हो चुका है अलॉट
चुनाव आयोग ने जून में 18, जुलाई में 17, अगस्त में 13, तथा सितंबर में सर्वाधिक 39 पार्टियों को रजिस्टर्ड करते हुए चुनाव चिह्न एलॉट किया है। नव पंजीकृत पार्टियों के नाम भी रोचक हैं। असली देशी पार्टी, जागो हिन्दुस्तान पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी, समग्र उत्थान पार्टी, लोग जन पार्टी, भारतीय सबलोग पार्टी, राष्ट्रीय सबजनशक्ति पार्टी, उदारवादी समरसता पार्टी, टीपू सुल्तान पार्टी, फौजी किसान पार्टी, रानी लक्ष्मीबाई क्रांतिकारी पार्टी आदि नई पार्टियों में प्रमुख हैं। इन्हे माइक, चिमनी, तरबूज, तकिया, चक्की, बाल्टी, ईंट, ब्रेड जैसे सिंबल भी मिल चुके हैं।
बड़ी पार्टियों की स्थिति
- बीजेपी बिहार में 168 सीटों पर चुनाव लड़ चुकी है लेकिन इस बार उसके कोटे में 121 सीटें ही हैं जिसमें से उसने कुछ सीटें विकासशील इंसान पार्टी को दे रखी हैं।
- कांग्रेस ने वर्ष 2000 के चुनाव में 324 सीट पर चुनाव लड़ा था। इस बार वह केवल 70 सीट पर चुनाव लड़ रही है।
- जेडीयू ने सबसे अधिक 141 सीटों पर 2010 में चुनाव लड़ा था। अब यह संख्या घटकर 122 रह गयी है। इसमें भी जेडीयू ने अपनी कुछ सीटें हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को दे रखी हैं।
- आरजेडी ने वर्ष 2000 में 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था। राज्य विभाजन के बाद फरवरी 2005 फरवरी से अब तक इस पार्टी ने अधिकतम 175 सीटों पर ही चुनाव लड़ा है। अब इस चुनाव में यह संख्या घटकर 144 रह गयी है।
- सीपीआई-माले ने फरवरी 2005 में 109 सीट पर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वह 19 पर आ गयी है।
-सीपीआई ने अविभाजित बिहार में अधिकतम 153 सीट पर चुनाव लड़ा था. अब यह पार्टी 6 सीटों पर आ गयी है।