चीन के वुहान शहर के मीट बाजर से पुरी दुनिया में फैला कोरोना वायरस इस समय 200 देशों में कहर बरपा रहा हैं।अमेरिका और इटली जैसे देशों में तो इससे मौत के आँकड़ों में भारी वृद्धि हो रही हैं।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन द्वारा कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को सही जानकारी नहीं देने और छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि चीन ने सही समय पर इस वायरस के बारे में सूचना दे दिया होता तो इसे रोका जा सकता था। इस बात से चिढ़े राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहना शुरु कर दिया था।इस बता को लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की अमेरिका नस्ल भेद भाव को बढ़ावा दे रहा हैं।चीन का पक्ष लेते हुए WHO ने कहा की अमेरिका को चीनी वायरस कहना गलत हैं इससे चीनी लोगों को दुनिया में नस्लभेद का शिकार होना पड़ेगा।
WHO द्वारा चीन का समर्थन करने पर डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही आहत हुए।इस बात को लेकर अमेरिका अब WHO की आलोचना शुरु करते हुए आज कहा हैं कि WHO को सबसे अधिक फंडिंग अमेरिका की तरफ से ही दिये जाते हैं जिस पर रोक लगाने की बात डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है।उन्होने डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना वायरस महामारी से निपटनेके लिए उठाये गये कदमों और चीन पर अधिक ध्यान देने का आरोप लगाते हुए पत्रकोरों से कहा की वह विश्व स्वास्थ संगठन पर बड़ी रोक लगाने जा रहे हैं।संयुक्त राष्ट्र संध के इस निकाय के फंडिंग का बड़ा स्रोत अमेरिका ही हैं।
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ट्रंप ने प्रेस वार्ता में इस बात का खुलाशा नहीं किया कि वह कितनी राशि पर रोक लगाने जा रहे हैं। बहरहाल, डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है. अमेरिका में कोरोना वायरस से निपटने को लेकर अपने रवैये पर ट्रंप खुद भी आलोचना के घेरे में हैं.