लांकडाउन के चलते बेटें नहीं पहुंच सके घर, बहु ने दी सास को मुखअग्नि

 महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन है. ऐसे में देवरिया जनपद की एक घटना ने लोगों की आंखों को नम कर दिया. दरअसल जनपद के सलेमपुर कसबे की निवासी सुमित्रा देवी की शुक्रवार को अचानक मृत्यु (death) हो गई उनके तीन बेटे होने के बावजूद अंतिम समय में कोई उनके पास नहीं था क्योंकि ये तीनों ही अलग-अलग जगहों पर नौकरी करते हैं और लॉकडाउन के चलते वहीं फंस गए.

बहू ने हिम्मत से किया अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन
अंतिम समय में घर पर सुमित्रा देवी की बहू अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ उनके पास थी. ऐसी विषम परिस्थितियों में सामाजिक रूढ़ियों को दरकिनार करते हुए बहू ने ही स्थानीय प्रशासन की मदद से सास की अर्थी को कन्धा दिया और फिर अपने बच्चे को गोद में लेकर उनकी चिता को मुखाग्नि भी दी. भले ही लॉकडाउन के चलते एक मां को मौत के बाद बेटों का कंधा नहीं नसीब हुआ लेकिन बहू ने जिस हिम्मत से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया उसे देखकर लोगों की आंखें भी भर आईं साथ ही उसकी हिम्मत की भी सभी दाद दे रहे हैं. बता दें कि लार थाना थाना क्षेत्र के तिलौली गांव की रहने वाली 70 वर्षीय सुमित्रा देवी के तीन बेटे हैं जो बाहर नौकरी करते हैं. सुमित्रा देवी अपने मंझले बेटे चंद्रशेखर की पत्नी नीतू और उनके बच्चों के साथ सलेमपुर कस्बे में किराए के कमरे में रहती थी. शुक्रवार को सुमित्रा की तबीयत अचानक खराब हो गई. लोगों की मदद से बहू नीतू उन्हें सामुदायिक चिकित्सा केंद्र (CHC) ले गई, जहां डॉक्टरो ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

नीतू ने इसकी सूचना अपने पति समेत घर के सभी लोगों को दी लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी का भी आ पाना संभव नहीं था. ऐसे में नीतू के पति चंद्रशेखर व दोनों भाइयों ने नीतू से ही मां का अंतिम संस्कार करवाने को कहा. अचानक आई इस विपदा में नीतू अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष के पास पहुंची और उनसे मदद मांगी. नगर पंचायत अध्यक्ष ने शव को श्मशान घाट पहुंचाने की और अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्था करवाई. बहू नीतू ने अन्य लोगों के साथ अपनी सास के शव को कंधा दिया और श्मशान घाट भी गई. लेकिन जब शव को मुखाग्नि देने की बारी आई तो परिवार का कोई पुरुष सदस्य मौजूद ना होने के चलते लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि चिता को आग कौन देगा. ऐसे में बच्चे को गोदी में लेकर बहू ने खुद ही सास की चिता को अग्नि दी और अंतिम संस्कार की रस्मों को निभाया.

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