चीन को शबक सिखाने के लिए भारतीय फौज तैयार

15 जून की रात को लद्दाख सीमा के गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा छुपकर घात लगाकर भारतीय सेना के वीर जांबाज जवानों पर किया गया कायराना हमले में 20 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।जबाबी कार्यवाही में चीन के 43 सैनिकों को मार गिराया गया।इस तरह किये गये कायराना हमले से भारती जवानों में जबर्दस्त गुस्सा हैं।इसी कारण से लाइन आँफ एक्चुअल कंट्रोल पर हलचल तेज हैं,चर्चाओं का दौर भी जारी हैं।क्या चीन को सबक सिखाने के लिए भारत कोई सैन्य कार्रवाई करेगा। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में हर सेक्टर पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, आसमान में टोही विमान भी बढ़ गए हैं।

लेह में शुक्रवार को अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर भी उड़ान भरते देखे गए। इलाक़े में एयरफोर्स के मिग-29 और सुखोई फाइटर जेट की हलचल भी बढ़ गई है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सेना ज्यादातर संवेदनशील जगहों पर तैनात है, जबकि पूरे एलएसी पर आईटीबीपी यानी इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस। यह गृह मंत्रालय के अंदर आती है। बॉर्डर पर आईटीबीपी और सेना आपसी तालमेल से काम करती हैं। हर मूवमेंट की जानकारी एक दूसरे से साझा करती हैं। कुछ जगहों पर तो जॉइंट पट्रोलिंग भी।

अभी पूरे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर हालात सामान्य नहीं हैं। तनाव चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक सेना के भीतर बॉर्डर मैनेजमेंट पर फिर से चर्चा की जा रही है। चर्चा इस पर भी हो रही है कि कुछ वक्त के लिए आईटीबीपी का ऑपरेशनल चार्ज सेना के कमांडर ही संभालेंगे। अगर यह होता है तो इसका मतलब यह होगा कि आईटीबीपी के जवानों को किस तरह, कहां तैनात करना है, कहां पर पट्रोलिंग करनी है, यह सेना के कमांडर ही तय करेंगे।

ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन ने कई जगहों पर भारी संख्या में अपने सैनिक तैनात किए हैं साथ ही बंकर बनाए हैं और तोप से लेकर हेवी वीइकल भी वहां तैनात कर लिए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि वह सेंट्रल और ईस्टर्न सेक्टर में भी एलएसी के पास भारी संख्या में सैनिक तैनात कर रहा है।

भारत ने भी युद्ध स्तर पर सैनिकों की तैनाती शुरू की है। सैनिक फॉरवर्ड एरिया में डटे हैं और रिजर्व फोर्स भी पूरी तरह तैयार है। नेवी के ‘पी-8 आई’ टोही विमान से चीन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। एयरफोर्स के फाइटर जेट की एक्टिविटी भी बढ़ी है।

लेह एयरबेस समुद्र तल से 10,600 फीट की ऊंचाई पर है, जहां अपाचे हेलिकॉप्टर हैं। यह गलवान वैली से करीब 80 किलोमीटर और पैंगोंग त्सो से करीब 110 किलोमीटर दूर है। भारत ने अमेरिका से इन्हें खरीदा था। ये दुनिया के सबसे आधुनिक और घातक हेलिकॉप्टर माने जाते हैं।

इसे लादेन किलर भी कहा जाता है। अमेरिका ने अपाचे हेलिकॉप्टर में कुछ बदलाव कर उसका इस्तेमाल 2011 में पाकिस्तान के अंदर घुसकर अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए किया था।

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