बहुत सारे लेखों के द्वारा यह पता चल चुका है की चमकी बुखार का मुख्य कारण लीची है। हालांकि यह अभी वैज्ञानिक या फिर डॉक्टरी रूप से साबित नहीं हुआ है।फिर भी एक सावधानी के तौर पर सरकार को यह कदम उठाना चाहिए था कि बच्चे या फिर गरीब गुरवे बस्ती से आने वाले लोग बासी पेट लिची का सेवन ना करें।
अगर जानकारी के अभाव में वे लोग इस बातों से परहेज नहीं कर रहे और बीमार पड़ जा रहे हैं तो क्या सरकार की कोई जिम्मेवारी नहीं बनती? कि हां हम इस पर शोध करें इसकी जानकारी ले, कारण क्या है? अगर लीची सच में कारण है तो इस को प्रतिबंधित किया जाए, इस को सीमित किया जाए। पर ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा।
इस बीमारी की शुरुआत 1995 में हुआ और अभी तक लगातार 24 साल से इस बीमारी की प्रभाव मुजफ्फरपुर जिले की जनता झेल रही है। इस दौरान बिहार में और केंद्र में कितनी पार्टियों की सरकार आई और गई। पर किसी ने इस बीमारी के बारे में शोध करने की बेरा ना उठाया।
आखिर क्या गलती है उन मासूमों का? क्या वह एक वोट बैंक नहीं है? इसलिए उसका बहिष्कार किया जा रहा है? या फिर वह अप संख्यक समुदाय से नहीं आता इसलिए उसका बहिष्कार किया जा रहा है? अगर सत्ताधारी पार्टियों की बात की जाए तो कोई भी सरकार की जिम्मेदारी होती है कि हमारे राज्य, देश के हर नागरिक सम्मान है। हर नागरिक के सुख दुख के प्रति सरकार की जवाबदेही होती है। ऐसा कुछ नहीं हो रहा। आखिर क्यों, क्यों नहीं हो रहा? वह गरीब है वह कुछ नहीं कर सकते?
बहरी सरकार के साथ-साथ विपक्ष भी बहरा हो गया है। विपक्ष को भी उन मासूमों की चीख-पुकार नहीं सुनाई दे रही? विपक्ष की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए थी कि सरकार पर दबाव बनाया जाए। इसकी जांच कराया जाए। आखिर पिछले 24 वर्षों से सरकार ऐसा कुछ कदम क्यों नहीं उठा रही है जिससे इसका स्थाई हल निकल सके।
अगर प्रधानमंत्री जी का बात किया जाए तो उनकी उनके पास योग दिवस मनाने के लिए समय है? क्योंकि झारखंड में इस वर्ष चुनाव है। पर यहां 200 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है उनकी सुधि लेने कि उनके पास समय नहीं है? कोई ऐसा जनप्रतिनिधि नहीं है जो इसके लिए आवाज़ उठाएं? सब आ रहे हैं पिकनिक स्पॉट, की तरह यहां मजे ले रहे हैं, फोटो खिंचवा रहे हैं और चले जा रहे हैं । जनप्रतिनिधियों के साथ साथ सेलिब्रिटी इस मौके का फायदा उठाने में नहीं चूक रहे हैं, कल खेसारी लाल यादव का आगमन हो, या फिर और बहुत नामी-गिरामी हस्तियों का आगमन।