कल जन्मदिन था कोलकाता के यूवराज कहे जाने वाले बंगाल tiger के नाम से मशहूर सौरभ चंडीदास गांगुली का!!
जिसे क्रिकेट की दुनिया में god of off side भी कहा जाता है!! लोग दादा भी कहते हैं!!
वैसे बंगाली मे बड़े भाई को दादा कहते हैं पर यहाँ सौरभ गांगुली बंगाली तो थे पर दादा कहने के पीछे की वजह थी….
उनकी दादागिरी ,उनका हट्ठ, जिद, बदले की भावना! जीतने की भूख,जो करना है वो करना है!!
दादा ने England के खिलाफ अपना पदार्पन मैच खेला लार्ड्स के पीच पर और लड़के ने पहले ही मैच में 131 रनो की शानदार पारी खेली!
ये सीरीज तो हम हार गए पर हमे मिले लंबी रेश के घोड़े जिसमें भूख थी जीतने की,जुनून था कुछ करने का.।
January 1998, bangladesh में independence cup का फिनाले चल रहा था 3 मैचों की सीरीज मे मैच 1-1 से बराबर था! Pakistan ने 314 का लक्ष्य दिया!
लड़के ने राबिन् सिंह के साथ 124 रनों की जानदार पारी खेली! हम लोग जीत गए!!
ऐसे ही 11 नवंबर 1999 में ग्वालियर में न्यूजीलैंड से चल रहे मैच में खेले गए मुकाबले में सौरव गांगुली एक छोर पर मोहड़ा संभाले हुए थे तो दूसरी छोर पर विकेट लगातार गिर रहे थे. रॉबिन सिंह के अलावा टीम कोई भी बल्लेबाज 20 रनों का आंकड़ा नहीं छु पाया था. तब दादा ने 153 रन की पारी खेली और न्यूजीलैंड को 261 का लक्ष्य दिया। और मैच को जीता भी दिया।
फिर आया संन् 2000 भारतीय क्रिकेट का सबसे बुरा दौर था,
मैच फिक्सिंग ने अच्छे अच्छे धुरंन्दर को इसमें लपेट लिया,विश्वसस्नियता पर सवाल उठने लगे!!
God of cricket सचिन तेंदुलकर बतातेे हैं कि लोग हमें संदेह कि नजरों से देखने लगे थे। आस्ट्रेलिया दौरे पर हमारी मनोदशा सही नहीं थी।। इसका प्रभाव हमारे प्रदर्शन पर भी दिख रहा था।।
फिर एक नया दौर शुरू हुआ….अब नये चेहरे लाये जाने लगे! फिर नई टीम बनी, दादा को नेतृत्व मिला.। जिसमें शामिल थे यूवराज, ज़हीर, हरभजन जैसे युवा।
हरभजन के लिए तो दादा ने कह दिया था की जब तक भज्जी टीम मे नही आएगा मैं इस कमरे से बाहर नही जाऊंगा!! Last तक नही माने.
फिर सेलेक्टरस् ने giveup कर लिया हरभजन टीम मे आ गए और आगे की कहानी स्वर्ण अक्षरो मे दर्ज है!!
ऐसे ही वीरू के लिए कहा था कि देख वीरू कोई बैठ के खिलाड़ी नहीं बनता है, अब तू ओपन करेगा, जो होगा देखा जायेगा।
और वीरू मतलब विरेंद्र सहवाग आज भारत के धाकड़ और सफलतम ओपनर रहे हैं।।।।