जंगलराज का बादशाह: मोहम्मद शहाबुद्दीन की विरासत और RJD का दांव, बेटे ओसामा की एंट्री से सियासत गरमाई
लालू के जंगल राज के बादशाह मोहम्मद शहाबुद्दीन के बारे में आज हम बात कर रहे हैं उनके जीवन के बारे में बताएंगे कैसे उन्होंने अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक अपराध जगत का बादशाह बन बैठा बिहार उसके नाम से कप्ता था लालू प्रसाद के खास माने जाते थे |
बिहार के सीवान ज़िले के प्रतापपुर गांव में 10 मई 1967 को जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की। महज़ 19 साल की उम्र (1986) में उन पर पहला केस दर्ज हुआ — और इसके बाद हत्या, अपहरण, रंगदारी और पुलिस पर हमले जैसे मामलों की लंबी फेहरिस्त जुड़ती गई।
लेकिन इन आपराधिक मामलों ने उनकी राजनीतिक प्रगति नहीं रोकी।
1990 और 1995 में वह जनता दल से विधायक बने, और 1996 से 2004 तक आरजेडी (RJD) से लगातार चार बार सांसद चुने गए।
रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद शहाबुद्दीन जेल में दरबार लगाते थे पुलिस प्रशासन मोहम्मद शहाबुद्दीन केआदेश से काम करते थे
शहाबुद्दीन के अपराधों की लिस्ट लंबी है। लेकिन, कुछ मामले खास चर्चित रहे हैं। आइए, नजर डालते हैं
छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड : 31 मार्च, 1997
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी -लेनिनवादी) के आह्वान पर सिवान के जेपी चौक के पास धरना चल रहा था। तभी हथियारबंद लोगों ने उस धरने पर हमला बोल दिया, जिसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर और सीपीआइ (एमएल) के नेता श्याम नारायण यादव शामिल थे। इस घटना में कई लोगों को गोली लगी थी। हमले में चंद््रशेखर व श्याम नारायण यादव की मौत हो गई। मामले में भी शहाबुद्दीन की भूमिका को लेकर सीबीआइ जांच हुई थी।
प्रतापपुर गोली कांड : 06 मार्च, 2001
इस गोलीकांड में नौ लोगों की मौत हुई थी। उस दिन राजद के नेता मनोज कुमार की गिरफ्तारी के लिए आई पुलिस से शहाबुद्दीन और उनके समर्थकों की झड़प हो गई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के देवरिया से पुलिस बल मंगाना पड़ा और प्रतापपुर में मो. शहाबुद्दीन के घर घंटों तक उनके समर्थकों और पुलिस के बीच गोलीबारी होती रही।
इस गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। पुलिस की गाडिय़ों में आग लगा दी गई थी और पुलिस ने घटनास्थल से तीन एके-47 राइफलें, हथगोले और दूसरे हथियार बरामद किए थे। मामले में शहाबुद्दीन को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। उनपर आरोप भी गठित किए गए थे।
तेजाब कांड : तीन भाइयों की हत्या 16 अगस्त 2004
यह सिवान में अब तक की सबसे जघन्य वारदात थी, जिसमें व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद के दो पुत्रों को तेजाब से नहलाकर मार दिया गया था। तीन साल बाद चंद्रकेश्वर प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र और घटना के चश्मदीद राजीव रौशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसमें शहाबुद्दीन को साजिशकर्ता बनाया गया है। मामले में सिवान जिला कोर्ट ने शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड : 13 मई, 2016
दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए अपराधियों ने एक दैनिक अखबार के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वे अपने दफ्तर से घर लौट रहे थे। राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन का आरोप है कि शहाबुद्दीन उसके पति की हत्या में साजिशकर्ता हैं। इसकी जांच सीबीआइ कर रही है।
‘साहेब’ की राजनीति की विरासत
2009 के बाद शहाबुद्दीन पर चुनाव लड़ने पर रोक लगी, लेकिन उनकी पत्नी हीना शाहाब ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया।
उन्होंने 2009, 2014, 2019 और 2024 में सीवान से चुनाव लड़ा, हालांकि हर बार हार मिली।
2025 में उनका बेटा ओसामा शाहाब राजनीति में उतरा — RJD ने उसे रघुनाथपुर सीट से उम्मीदवार बनाया।
इससे “साहेब की विरासत” एक बार फिर चर्चा में आ गई।
अक्टूबर 2025 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के खिलाफ दो आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। ये दोनों मामले भूमि विवाद और हमले से जुड़े हैं। दोनों मामलों में उन्हें बिहार हाई कोर्ट से ज़मानत (बेल) मिल चुकी है।
ओसामा 2024 की शुरुआत में तीन महीने जेल में रह चुके हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं
ओसामा शहाब का पूरा बायोडेटा
बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन जब राजनीति और अपराध जगत में अपने शबाब पर थे तब उनकी बेगम हिना शहाब ने बेटे को जन्म दिया. 12 जून 1995 को जन्में इस औलाद का नाम ओसामा रखा गया. यहां बता दें कि ओसामा एक अरबी शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ है ‘शेर’. यह अरबी शब्द ‘उसामा’ से निकला है और दमदार मर्दों के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. शहाबुद्दीन और हिना ने अपने बेटे का नाम ओसामा क्यों रखा ये तो वही जानें, लेकिन दोनों ने एक अच्छे मां-बाप की भूमिका निभाते हुए अपनी औलाद को अपनी अपराध जगत की दुनिया से दूर करने की भरसक कोशिश की.
ओसामा के होश संभालते ही शहाबुद्दीन ने उसे दिल्ली भेज दिया. यहां के नामी जीडी गोयनका स्कूल में उनकी तालिम होने लगी. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद शहाबुद्दीन ने अपने लाडले को अपने साए से बचाए रखने के लिए सात समंदर पार रुख्सत कर दिया. ओसामा ने लंदन में एलएलबी (LLB) की डिग्री हासिल की। कोरोना काल में पिता की जेल में रहते हुए ही हुई मौत के बाद ओसामा सिवान लौटा. यहां 2021 में ओसामा का निकाह सिवान की आयशा से हुई. आयशा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से एमबीबीएस कर चुकी हैं और पेशे से डॉक्टरी की प्रैक्टिशनर हैं.
क्रिमिनल केस में 3 महीने जेल काट चुका है ओसामा
इतना पढ़ने लिखने के बाद भी ओसामा खुद को अपने बाहुबली पिता के साए से दूर नहीं कर पाया. वह जैसे ही सिवान पहुंचा जेल जाने से उसकी नई यात्रा शुरू हो गई. फिलहाल वह जमानत पर है. जेल से बाहर आने दौरान ओसामा ने अपने समर्थकों के साथ जिस तरह से शक्ति प्रदर्शन किया उससे साफ हो गया कि वह अब्बू की तरह अपनी क्राइम कुंडली पर पर्दा डालने के लिए राजनीति में एंट्री लेगा.
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले जनवरी की ठंडक के बीच ओसामा ने तीन महीने की जेल यात्रा के बाद सिवान की सड़कों पर खूब ताकत दिखाने की कोशिश की. अब करीब डेढ़ साल बाद आरजेडी ने उन्हें विधानसभा का टिकट दे दिया है.
ओसामा शहाब के खिलाफ दो बड़े क्रिमिनल केस दर्ज हैं. पहला मामला मोतिहारी में अपने सगे संबंधियों के यहां जमीनी विवाद में हमला करने का है. वहीं दूसरा मामला हुसैनगंज थाना क्षेत्र के छपिया में भी जमीन संबंधी ही मुकदमा है. दोनों क्रिमिनल केस में ओसामा को हाई कोर्ट से बेल मिली है.
अंतिम अध्याय: तिहाड़ में अंत, लेकिन असर बरकरार
1 मई 2021 को कोविड-19 संक्रमण के कारण मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत दिल्ली की तिहाड़ जेल में हुई।
लेकिन उनकी छोड़ी विरासत — खौफ, वफादारी और राजनीतिक ताकत का संगम — आज भी बिहार की सियासत में जिंदा है।
सीवान में लोग आज भी उन्हें “साहेब” कहकर याद करते हैं — कोई खौफ से, कोई श्रद्धा से।