बिहार के मधेपुरा में पिछले 15 दिन तक प्रमोद बाबा ज़मीन के 15 फीट नीचे समाधि मे लिन थे.3 बजे के आस पास बाबा को समाधि से शकुशल निकाले है.भक्त उन्हे आज का भगवान मान रहे है उनको.
बता दें कि समाधि के लिए 10 फीट लंबा, उतना ही चौड़ा और 15 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया। इसके बाद समाधि स्थल के अंदर एक चौकी पर बाबा ध्यान मग्न हो गए। उनके ऊपर से बांस का ढांचा बनाकर उस पर से कपड़ा डालकर मिट्टी डाली गई। दावा किया जा रहा है कि बाहर की हवा अंदर नहीं जा सकती थी.
हालांकि गांव के लोगों के मुताबिक अंदर उतनी जगह है जिसमे बाबा चाहे तो खड़े हो सकते हैं। भक्तों के मुताबिक साधना के बल पर बाबा ने लम्बे समय तक उपवास का अभ्यास कर लिया है…इसलिए उन्हें भोजन पानी की जरूरत नहीं थी.
लेकिन वैज्ञानिक का कहना है की बाबा को ज़मीन के अंदर आक्सीजन मिल रहा था इस लिए बाबा 15 दिन तक जिन्दा रह पाए.
भक्तो ने बाबा को भगवान मान लिया है हज़ारो की संख्या मे भक्त वाहा पर बाब से आशीर्वाद ले रहे है .
हमें इस तरह की घटनाएं सुनने को मिलती रहती है लेकिन भारत की संस्कृति इस बात का प्रमाण देती है कि साधु सन्यासी में अधिक शक्ति होती है महीना 2 महीने 6 महीने 1 साल तक बिना खाना खाए पिए भी रह सकते हैं पूरे संसार में भारत के साधु सन्यासी तपस्या के लिए जाने जाते हैं कपस्या के बदौलत साधु सन्यासी ने भगवान को बनाया था.
बाबा प्रमोद ने जो अद्भुत चमत्कारी चेंज किया है वह काफी ही सराहनीय है मामा प्रमोद वहां पर भगवान के नाम से जाने जाते हैं लोगों ने रुको भगवान मान लिया है मेरा मानना है कि भगवान की उपाधि कोई भी नहीं ले सकता है हां यदि हो भगवान के जैसा काम कर जाता है लोगों ने भगवान का दूसरा अवतार हो सकते हैं भगवान के रूप में जा सकते हैं लेकिन भगवान के जगह नहीं बैठा