गैंगस्टर विकास दुबे के एंकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर उठने लगे कई सवाल

Many questions arose on UP police regarding gangster Vikas Dubey encounter

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिस जवानों का हत्यारा गैंगस्टर विकास दुबे को आज शुक्रवार कानपुर में हुए एंकाउंटर में मार गिराया गया हैं। इस घटना के बाद यूपी पुलिस पर एनकाउंटर को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। विकास दुबे का जिस तरह से एनकाउंटर किया गया है उसके बाद से भले ही उत्तर प्रदेश पुलिस की राह आसान न दिख रही हो लेकिन तकनीकी तौर पर पुलिस को कोर्ट से राहत मिल सकती है. फिलहाल पुलिस को कोर्ट में विकास दुबे के मारे जाने की कोई रिपोर्ट नहीं देनी होगी. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि विकास दुबे अभी तक न्यायिक हिरासत में नहीं था और न ही मध्य प्रदेश पुलिस ने आधिकारिक तौर पर उसे गिरफ्तार किया था.

बता दें कि अगर किसी अपराधी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है औ न्यायिक हिरासत में रहते हुए अपराधी के साथ किसी भी तरह की कोई अनहोनी हो जाती हैं या फिर वह किसी भी कारण से एनकाउंटर में मारा जाता तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट को देनी पड़ती है. यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि एमपी पुलिस ने भी विकास दुबे को हिरासत में लिया था और यूपी पुलिस को सौंप दिया था. ऐसे में जब विकास दुबे को कानपुर लाया जाता उसके बाद ही उसकी गिरफ्तारी दिखाई जाती लेकिन उसके पहले ही विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया.

गौरतलब है कि विकास दुबे को शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े 6 बजे जब यूपी एसटीएफ की टीम उज्जैन से कानपुर ला रही थी उसी समय एसटीएफ की एक गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और वह पलट गई. एसटीएफ की जिस गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ उसी में विकास दुबे सवार था. पुलिस ने बताया कि मौके का फायदा उठाकर विकास दुबे ने भागने की कोशिश की. इसके बाद एसटीएफ की टीम ने विकास को रोकने की कोशिश की लेकिन उसने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे मारा गया.

बताया जाता है कि खून से लथपथ हालत में उसे हैलट अस्‍पताल लाया गया जहां प्राथमिक जांच के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस हादसे में चार पुलिसकर्मियों को भी चोट आई है और उन्हें सीसीएस कल्याणपुर में प्राथमिक उपचार के बाद कानपुर अस्पताल ले जाया गया है.


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