बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी, शिक्षा, परिवार और राजनीतिक सफर
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी से जुड़े मुख्य आलेखों में उनके जीवन, शिक्षा, राजनीतिक यात्रा, उपलब्धियों और व्यक्तिगत जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है
“सुशासन बाबू” की छवि—सड़क, बिजली, क़ानून-व्यवस्था व आधारभूत सुविधाओं पर ज़ोर; महिलाओं की भागीदारी (पंचायती आरक्षण, साइकिल योजना) और लक्षित सामाजिक कार्यक्रमों के लिए पहचाने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बख्तियारपुर, बिहार में हुआ था.
- उनके पिता राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे
- 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पटना (अब NIT Patna) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग।
परिवार और निजी जीवन
- नीतीश कुमार ने 1973 में मंजू सिन्हा से विवाह किया, जिनका 2007 में निधन हो गया.
- उनका एक बेटा निशांत कुमार है
राजनीतिक सफर
- नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से शुरू हुआ.
- वे पहले जनता पार्टी से जुड़े, बाद में समता पार्टी के संस्थापक सदस्य बने.
- वे कई बार विधानसभा सदस्य तथा छह बार लोक सभा सांसद चुने गए.
- उन्होंने केंद्र सरकार में कृषि, रेलवे, और सतह परिवहन मंत्री के रूप में भी काम किया.
- पहली बार मार्च 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन सिर्फ सात दिन चले.
- नवंबर 2005 से उन्होंने स्थायी रूप से मुख्यमंत्री पद संभाला.
- वे अब तक बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं और नौवीं बार इस पद पर पहुंचे हैं.
मुख्यमंत्री कालक्रम (मुख्य पड़ाव)
- 2000 (संक्षिप्त कार्यकाल): पहली बार क़रीब एक सप्ताह के लिए CM।
- 2005–2014: “सुसाशन” एजेंडा के साथ लंबा कार्यकाल; 2014 में इस्तीफ़ा।
- 2015: फिर से शपथ;
- 2017: महागठबंधन तोड़कर BJP के साथ सरकार;
- 2022: BJP से अलग होकर RJD-कांग्रेस के साथ;
- 2024: फिर NDA में लौटकर 28 जनवरी 2024 को नौवीं बार शपथ। Wikipedia+1
2025 की चुनावी पृष्ठभूमि में ताज़ा संकेत: NDA ने सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार को CM चेहरा बताया है।
उपलब्धियां और प्रयास
- नीतीश कुमार ने बिहार में कानून-व्यवस्था, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, आधारभूत संरचना और भ्रष्टाचार नियंत्रण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है.
- उन्होंने महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना जैसी योजनाएं शुरू कीं.
- नीतीश कुमार को एक साफ-सुथरी छवि वाला नेता माना जाता है, जो हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हैं
- मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना (2006): कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिल हेतु नक़द सहायता—स्कूल पहुँच और बालिका शिक्षा बढ़ाने की पहल।
- सात निश्चय / सात निश्चय-2 (2015–20, 2020–25): “न्याय के साथ विकास”, युवाओं के कौशल/रोज़गार, नल-जल, सड़क/बिजली, शहरी सुविधाएँ आदि पर केंद्रित कार्यक्रम
- पूर्ण शराबबंदी (अप्रैल 2016): राज्यव्यापी प्रतिबंध—समर्थकों के अनुसार सामाजिक-परिवारिक लाभ, पर क्रियान्वयन/तस्करी पर गंभीर बहस जारी
इनका आलोचनाएँ भी हुआ
- शराबबंदी पूर्णरूप से सफल नहीं हुआ | अवैध शराब व तस्करी की घटनाएँ होती रहती है
- दल/गठबंधन बदलने का आरोप इनके ऊपर कितने बार लग चुके है
दल/गठबंधन बदलने का विवरण
1994: जनता दल से अलग, समता पार्टी का गठन
जॉर्ज फ़र्नांडिस के साथ नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बनाई। यही कदम उनके स्वतंत्र राजनीतिक ट्रैक की शुरुआत मानी जाती है।
अक्टूबर 2003: समता पार्टी का जद(यू) में विलय
समता पार्टी का औपचारिक विलय जनता दल (यूनाइटेड) में हुआ। इसके साथ ही संगठनात्मक रूप से जद(यू) का ढाँचा मज़बूत हुआ और नीतीश कुमार की भूमिका निर्णायक बनी।
जून 2013: एनडीए से अलगाव
लगभग 17 साल पुराने भाजपा–जद(यू) गठबंधन का अंत हुआ। नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व में उभार के बीच जद(यू) ने एनडीए से रिश्ता तोड़ा—राजनीति के राष्ट्रीय स्वरूप पर बिहार की अहम प्रतिक्रिया के रूप में इसे देखा गया।
नवंबर 2015: महागठबंधन के साथ सरकार
आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव जीते और 20 नवंबर 2015 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह वापसी ‘विकास बनाम सामाजिक समीकरण’ की बहस को नया आयाम देती दिखी।
जुलाई 2017: महागठबंधन टूटा, भाजपा के साथ फिर सरकार
26 जुलाई 2017 को उन्होंने इस्तीफ़ा दिया और आरजेडी से अलग हो गए। अगले ही दिन भाजपा के समर्थन से सरकार बनाकर सत्ता में लौट आए—यह पलटवार तेज़ राजनीतिक पिवट के तौर पर दर्ज हुआ।
9–10 अगस्त 2022: एक और यू-टर्न, महागठबंधन में वापसी
भाजपा से अलग होकर जद(यू) ने फिर आरजेडी–कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया, और 10 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने दोबारा शपथ ली। संदेश साफ़ था—बिहार की सत्ता-गणित में जद(यू) अब भी ‘किंगमेकर’ है।
28 जनवरी 2024: महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी
जनवरी 2024 में उन्होंने महागठबंधन छोड़ा, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया और उसी दिन एनडीए के समर्थन से सरकार बनाई। इससे राज्य की राजनीति एक बार फिर नई रफ़्तार में आ गई।
नीतीश कुमार का राजनीतिक ग्राफ़ दिखाता है कि बिहार में सत्ता के केंद्र में बने रहने के लिए उन्होंने सामाजिक समीकरण, शासन-छवि और गठबंधन-गणित—तीनों को परिस्थिति के हिसाब से साधा। आलोचक इसे अवसरवाद कहते हैं, समर्थक इसे स्थिरता के लिए ‘स्ट्रैटेजिक रियलाइन्मेंट’—पर इतना तय है कि हर मोड़ ने बिहार की राजनीति की धुरी को हिलाया है।