राज्यसभा में शून्य हो सकती है RJD की संख्या—30 साल में पहली बार संभावित संकट, लालू-तेजस्वी की बढ़ी चिंता
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा है। एनडीए ने 202 सीटों पर जीत हासिल कर स्पष्ट बहुमत पाया, जबकि लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) महज़ 25 सीटों पर सिमट गई। इस हार ने RJD के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—खासकर राज्यसभा में उसकी मौजूदगी पर।
राज्यसभा में RJD शून्य होने के कगार पर
बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायक हैं और राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 41 वोटों की आवश्यकता होती है। RJD के पास फिलहाल सिर्फ 25 विधायक हैं, जिसका मतलब है कि पार्टी अगले चुनाव में राज्यसभा की अपनी सीटें बचाने में असमर्थ हो सकती है।
यह पहली बार होगा, जब पिछले लगभग 30 वर्षों में RJD के पास राज्यसभा में शून्य सदस्य रह जाएंगे।
तेज प्रताप यादव की भविष्यवाणी हो रही सच?
चुनाव प्रचार के दौरान तेज प्रताप यादव ने कई नेताओं को ‘जयचंद’ बताकर आरोप लगाया था कि वे पार्टी को भीतर से कमजोर कर रहे हैं।
उनका दावा था कि ऐसे लोग आने वाले दिनों में राजद और तेजस्वी यादव को पूरी तरह तबाह कर देंगे।
चुनावी नतीजों के बाद यह चर्चा फिर से जोर पकड़ चुकी है।
संजय यादव पर गंभीर आरोप
तेज प्रताप ने सबसे ज्यादा निशाना संजय यादव पर साधा है, जिनपर पार्टी तोड़ने और RJD को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि राज्यसभा में मौजूद संजय यादव और मनोज झा जैसे नेताओं का आगे क्या होगा?
राज्यसभा में RJD की मौजूदा स्थिति
वर्तमान में RJD के पांच राज्यसभा सदस्य हैं:
- प्रेमचंद गुप्ता – कार्यकाल समाप्त: अप्रैल 2026
- एडी सिंह – कार्यकाल समाप्त: अप्रैल 2026
- फैयाज अहमद – कार्यकाल समाप्त: जुलाई 2028
- संजय यादव – कार्यकाल समाप्त: अप्रैल 2030
- मनोज झा – कार्यकाल समाप्त: अप्रैल 2030
लेकिन 2026 में दो सीटें खाली होंगी जिन्हें RJD अपने कमज़ोर संख्या बल के कारण भरने में असमर्थ दिख रही है।
एनडीए को सीधा फ़ायदा
अगले साल बिहार से राज्यसभा की कुल पाँच सीटों पर चुनाव होना है।
जदयू के दो और उपेंद्र कुशवाहा की एक सीट खाली होगी।
एनडीए के पास विधानसभा में मजबूत संख्या बल होने के कारण इन सीटों पर कब्जा जमाना आसान होगा।
RJD के लिए अपनी दो सीटों को बचाना भी मुश्किल हो जाएगा।