कहानी कोलकाता के यूवराज् कहे जाने वाले बंगाल tiger के नाम से मशहूर सौरभ चंडीदास गांगुली का!!
ऐसे ही धोनी के लिए दादा कहते हैं कि, ‘जब धोनी 2004 में टीम में आए तो उन्होंने शुरुआती 2 मैचों में नंबर 7 पर बल्लेबाजी की. पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच के लिए जब टीम की घोषणा हुई तब भी धोनी के लिए 7वां नंबर ही तय था. उस वक्त मैं अपने कमरे में बैठकर न्यूज देखते हुए सोच रहा था कि उन्हें (धोनी) एक खिलाड़ी कैसे बनाऊं, मुझे दिख रहा था कि उनमें क्षमता थी. अगली सुबह हम टॉस जीते और मैंने सोच लिया कि आज धोनी को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजूंगा और फिर जो होगा देखा जाएगा.’ और धोनी को अपनी जगह तीसरे नंबर पर भेजा….
और धोनी ने उस अवसर को भूनाया भी और शानदार 148 रनो की पारी खेली थी।
2000 में फिक्सिंग के बाद कमान जब दादा के हाथ में आयी……नई टीम अलग थी,स्लेजिंग का जवाब देना जानते थे, कोई रोक टोक भी नही थी
दादा का या मैं कहूंगा की इंडियन क्रिकेट के लिये सबसे यादगार लमहा रहा england के लार्ड्स मे 2002 नेवेस्ट ट्रॉफी की जीत !
जब दादा ने मंत्रोच्चार के साथ साथ टीशर्ट को हवा में लहराया!! दरसल ये जवाब था फ्लिंट आफ को!! मतलब था जैसे को तैसा!!
और इस वाकये ने समूचे क्रिकेट जगत में सुर्ख़िया बटोरी!!
पर मेरे लिए सबसे यादगार रहा 2003 का वर्ल्डकप ! उस समय हमारे यहाँ गाँव मे बिजली बहुत कम आती थी.
पर हमारे घर मे tractors था मेसि 735! बस जुगाड़ बन जाता था!!थोड़ी बहूत मान मनउल करनी पड़ती थी बड़ों की पर हो जाता था!
और हम लोग मैच देखने के लिए ट्रैक्टर की बैटरी से T.V चलाते थे!
पूरा गाँव बड़के,छुटके,चाचा ताउ,सब साथ बैठ कर देखते थे!!
ये वो दौर था जब सौरभ, सचिन, सहवाग, लक्षमन, द्रविद् ने दिल,दिमाग, गुर्दा, फेफड़ा, T.V हर जगह कब्ज़ा कर रखा था!!
वर्ल्डकप मे भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था,पूरी उम्मीद थी की हम फाइनल जीत जायेंगे पर हम हार गए!! सच पूछीये तो वो लमहे बड़े भारी थे!!
फिर एक्क दौर आया जब दादा को अपना ही दाव भारी पड़ गया! ये दाव था ग्रेग चैपल!! वो दौर दादा के लिए सबसे बुरा रहा!!
ज्यादा जिक्र नही करंगे इसका।।।
दादा ने फिर शानदार वापसी भी की!! सब ठीक रहा पर
10 November 2008,Nagpur satdium,
ये वो दिन था जब इस भारतीय legend ने अपने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया!!
फैंस की आँखे नम थी, क्योंकि उनको पता था अब वो दादा को खेलते हुए नही देख पाएंगे!
दादा ने क्रिकेट को भले ही अलविदा कहा हो!!
पर क्रिकेट दादा से अभी भी जुड़ा हुआ है!!
और भी बहूत कुछ है पर इतना ही।
लब जू रहेगा दादा,,,,,,
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ दादा।।।।।