राजस्थान के दौसा जिला का बैरावास गांव में भयंकर पेय जल संकट,पानी के लिए चलना पड़ा हैं 10 किमी पैदल

राजस्थान के दौसा जिला का बैरावास गांव में भयंकर पेय जल संकट,पानी के लिए चलना पड़ा हैं 10 किमी पैदल

कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए पानी का अहम योगदान हैं क्योंकि WHO और वैज्ञानिकों का कहना हैं कि इस वायरस से बचने केलिए अपने हाथों को साबुन से बार-बार धोए।लेकिन राजस्थान के कई इलाकों में पानी की बहुत ही जबर्दस्त किल्लत हैं।लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए परेशान रहते हैं। दौसा जिला का बैरवास ऐसा ही गांव हैं। प्रचंड गर्मी के इस मौसम में पानी की जरुरत सामान्य दिनों से अधिक होती हैं।दौसा जिले के अधिकतर गांवों में पीने के पानी के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते हैं।संपूर्ण दौसा जिला डार्क जोन में हैं और अधिकांश हिस्सों में भू जल का स्तर खत्म सा हो गया हैं। हालात ऐसे हो चले हैं कि यहां करीब 400 से 500 फुट तक बोरवेल खुदाई के बाद कहीं पानी मिलता है. वो भी फ्लोराइड युक्त खारा पानी.

पानी के लिए 3 KM पैदल दूसरे गांव जाते हैं ग्रामिण

वैरावास गांव दौसा जिला से 20 किलोमीटर दुरी पर स्थित हैं।जहां पीने के पानी की बहुत किल्लत हैं पूरे गांव में न तो कोई हैंडपंप है न ही कोई एकल बिंदु,निजी तौर पर भी बहुत सारे बौरवेल खुदवाये गये लेकिन किसी भी बौरवेल में पानी की आवक नहीं हुई। बेरावास गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर एक निजी व्यक्ति के बोरवेल में पानी जरूर है. ऐसे में लोग यहां पर तीन किलोमीटर दूर पैदल चलकर पानी लेने आते हैं. कभी-कभार इस बोरवेल में जब तकनीकी खराबी आ जाती है तो लोग प्यासे मरने को मजबूर हो जाते हैं और तब करीब आठ से 10 किलोमीटर दूर स्थित दूसरे गांव से पानी लेकर आना पड़ता है. ऐसे में जिस गांव में पानी की ऐसी भयावह किल्लत हो, वे लोग सरकार द्वारा बताये गये बार-बार हाथ धोने का नियम कैसे निभा पाये गेय़।

बेरावास गांव के निवासी बताते है देश को आजाद हुए 73 वर्ष हो गया और कई पार्टियों की सरकार आयी और गई सभी पार्टियों के लोगों ने पानी की व्यवस्था करने की बात कही लेकिन स्थिति जसके तस बनी हुई हुई हैं।सरकार हाथ धोने के लिए बार-बार कह रही लेकिन यहां तो एक बाल्टी पानी के लिए दिन भर संघर्ष करना पड़ता है

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