जिंदगी कुछ यूं जिए जा रहे हैं।

जिंदगी कुछ यूं जिए जा रहे हैं।

जिंदगी कुछ यूं जिए जा रहे हैं
जहर बन गई है पर पिए जा रहे हैं
ना मंजिल मिली ना ठिकाने पर चले जा रहे हैं
जिंदगी कुछ यूं हम जिए जा रहे हैं।

दोस्त है ज्यादा, बातें हैं कम पर किए जा रहे हैं
जिंदगी कुछ यूं जिए जा रहे हैं
मिलना था जिसे मिले कुछ तो बिछड़ते जा रहे हैं
अपनी खुद की उलझन ओं में ही उलझते जा रहे हैं
जिंदगी इस तरह से जिए जा रहे हैं।

हम थे जहां, है वहीं, वहीं पर रुके जा रहे हैं
सपने थे बहुत मगर सीमटते जा रहे हैं
जीमेवारिया फिर भी बढ़ती जा रही है
हम समझ ही नहीं पा रहे हैं कि क्या हुआ?
फिर भी मुस्कुराकर ही हम जिए जा रहे हैं

कोई तो संभालो, हम कहां जा रहे हैं?
रोक लो, रोक दो, शायद हम मरे जा रहे है
घुटन के बिना भी हम घुटे जा रहे हैं
जिंदगी कुछ यूं जिए जा रहे हैं।

यदि आप एक कविता का अर्थ निकालेंगे तो आपको अपने जीवन के बारे में सब कुछ समझ में आ जाएगा कि हम जीवन किसके लिए जी रहे हैं क्यों जी रहे आपको यह जीवन काफी समय बाद मिला है इस जीवन को आप अच्छी तरह से जिए किसके लिए जी रहे हैं क्योंकि रहे हैं ऐसा सोचना बंद कीजिए जीवन ऐसे जी मित्रों को समर्पित हो जीने का मकसद हो कि हम समाज के लिए काम कर रहे हैं समाज के लिए जी रहे हैं दूसरे के लिए जी रहे हैं अपने लिए तो सब कुछ जीता है जो दूसरों के लिए जीता है वही महापुरुष जाकर बनता है इसलिए हमेशा दूसरों के लिए जीना चाहिए

 

जीने का हमेशा भाग से वीडियो में होना चाहिए कि हम किस लिए जी रहे हैं और क्यों जी रहे हैं इसके बिना जीने का मकसद ही खत्म हो जाता है जीने का कोई अधिकार नहीं होता है

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