झारखंड में बिहारियों को आरक्षंण नहीं:हाई कोर्ट

आरक्षण को लेकर आये दिन कोई ना कोई विवाद देखने सुनने को मिलता हैं। कभी आरक्षण को लेकर आंदोलन होता है तो कही पंचायत कर रेल ,सड़क मार्ग को रोक दिया जाता हैं। आरक्षण पर जब भी कोई बयान चाहे राजनेता की तरफ से आये या न्यायालय की तरफ से ये सभी बायन देश और समाज पर गहरा असर डालते हैं।इससे समाज में द्वेष्ता बढ़ती हैं समाज एक -दुसरे से घ्रृणा करने लग जाता हैं। इसका असर देश के विकास पर भी पड़ता हैं।आरक्षण पर दिये गये इस प्रकार के बयान से आम आदमी को काफी संकटो का सामना करना पड़ता हैं।

आरक्षण पर अभी हालहि में आये उत्तराखंड हाई कोर्ट के टिप्पणि के बाद झारखंड हाई कोर्ट के आरक्षण पर दिये अपने बयान से देश में और बिहार में चर्चा गर्म हो गई हैं।झारखंड हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया हैं कि बिहार के निवासियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाऐगा।ये बयान उस समय आया हैं जब बिहार के रहने वाले रंजीत कुमार ने झारखंड पुलिस बहाली में आरक्षण का लाभ मांगा था।आरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय के लार्जर बेंच के दो जजों ने सोमवार को ये फैसला सुनाया। अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि बिहारियों को झारखंड में आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा।

उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद लोगों में खलबली मची हुई हैं क्योंकि वर्ष 2000 में झारखंड बिहार से अलग होकर नया राज्य बना था।झारखंड में आज भी अधिकतर आबादी बिहारियों की ही हैं।ऐसे में उच्च न्यायालय के आये फैसले से बड़े पैमाने पर बिहारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड में रहने वाले बिहारियों के लिए उच्‍च अदालत का यह फैसला भारी पड़ेगा।

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