15 जून को लद्दाख बार्डर के गलवान घाटी में धोखे से चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना के जवानों पर हिंसक आक्रमण में लाठी और पत्थर से किये गये हमले में भारत के 20 जवानों शहीद हो गये।यह वही जगह हैं जहा 60 साल पहले भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था।एक बार फिर दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव है और संघर्ष के आसार नज़र आ रहे हैं. अब सवाल ये है कि युद्ध की स्थिति में भारत का साथ कौन से देश देगा और चीन के साथ दोस्ताना कौन निभाएगा।इसी मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
कल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना संकट पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सर्वदलीय बैठक के दौरान बातचीत शुरु करने से पहले गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों को मौन रहकर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत पड़ौसी देशों के साथ सभी विवाद मुद्दें बातचीत के जरिये सुलझाने की कोशिश करता हैं लेकिन यदि किसी ने उकसाने की कोशिश किया तो उसका जवाब देने से पीछे नहींं हटेगे।देश को आश्वस्त करते हुए कह रहे थे की शहीद जवानों की कुर्बानी ब्यर्थ नहीं जाने दुंगा।प्रधानमंत्री के संबोधन से यह अनुमान लगाया जा रहा हैं कि भारत और चीन के बीच युद्ध होता हैं तो भारत का साथ कौन देगा और चीन के साथ कौन मित्रा निभायेगा।इनका विश्लेषण करने से पता चलता हैं कि युद्ध दो देशों के बीच ज़रूर होगा, लेकिन दो देश अकेले नहीं लड़ेंगे. दुनिया के कई देश इन दोनों में से किसी एक का साथ देंगे. ऐसे में कौन किस का साथ देगा इसको समझना महत्वपूर्ण होगा।
चीन दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने का जिम्मेदार माना गया हैं क्योंकि उसने इस महामारी की सूचना न तो विश्वस्वास्थ संगठन को दिया न ही अन्य देशों को ,जानकारी छुपाने के आरोपों से घिरा चीन इस समय दुनिया के देशों के रडार पर हैं।यदि उसने सही समय पर जानकारी साझा किया होता तो इस महामारी को फैलने से रोका जा सकता था।उसने ऐसा न करके कोरोना वायरस को को फैलाता रहा।कोरोना वायरस के फैलने से लगभग सभी देश इसकी चपेट में आ गये और कोरोना ने कहर बरपाना शुरु कर दिया इस वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान इटली,स्पेन,फ्रांस, जर्मनी ,आस्टेलिया अमेरिका को पहुंचाया।इस लिये ये सभी देश चीन से नाराज हैं और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।अमेरिको को इस महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा हैं उसने तो चीन को जानबुझकर वायरस फैलाने और बनाने के लिए जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई करने की खुली चुनौती दे डाली हैं।ऐसी स्थिति में यदि भारत -चीन के बीच युद्ध होता हैं तो अमेरिका समेत चीन से नाराज सभी देश भारत का साथ दे सकते हैं।
दुसरी तरफ देखा जाये तो चीन कोरोना वायरस महामारी को छुपाने की वजह से विश्व विरादरी में बदनाम और अपनी विश्वसनियता खो दिया हैं उसके उपर से अब सभी देशों का विश्वास उठ चुका हैं।वह अपने आसपास भी गलत नियत की वजह से अपने पडौसी देशों से भी गिरा हुआ हैं क्योकिं चीन अपने पडौसी देशों के सीमाओं में हस्तक्षेप करता रहता हैं और उनको भी अपना देश मानता हैं जिसके चलते ये पड़ौसी देश ताइवान, वियतनाम, तिब्बत उससे नाराज रहते हैं।ऐसी स्थिति में यदि युद्ध हुआ तो ये देश चीन का साथ नहीं देंगे।पाकिस्तान ही केवल ऐसा देश हैं जो चीन का साथ दे सकता हैं क्योंकि चीन पाकिस्तान को उसकी गतिविधिया चलाने के लिए कर्ज देता रहता हैं।
बात आती हैं रुस की तो रुस पहले भारत का मित्र देश था लेकिन जबसे भारत का झुकाव
अमेरिका की तरफ हुआ हैं रुस हमसे नाराज रहता हैं और अब उसका झुकाव चीन की तरफ हो गया हैं।लेकिन यदि युद्ध होता हैं तो वह तटस्ता की भूमिका निभा सकता हैं।इस विश्लेषण से पता चलता हैं कि युद्ध की स्थिति उतन्न होती हैं तो भारत का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा हैं।
सैन्य अभ्यास में साथी रहे देशों की तरफ से मिल सकती हैं मदद
अमेरिका के अलावा, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास कर चुका है. सीएनएएस की रिपोर्ट के मुताबिक कहा गया है कि भारत के साथ अभ्यास करने वाले पश्चिमी सैन्य दलों ने हमेशा भारत के दलों की क्रिएटिविटी और खुल को हालात के हिसाब से ढाल लेने की क्षमता की भरसक तारीफ की है. चीन के साथ युद्ध के हालात में भारत इन देशों से सहयोगी की अपेक्षा करेगा.