गया । अपने लिए जीए तो क्या जीए, ते जी ऐ दिल जमाने के लिए..। इन पंक्तियों को सार्थक कर रही हैं समीर तक्या मोहल्ले निवासी सत्यावती कुमारी गुप्ता। उनकी संस्था पिछले दो वर्षो में करीब 500 लोगों को रक्त देकर जान बचा चुकी हैं। समाज सेवा के प्रति अपने इस जज्बे से सैकड़ों लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने में भी सफल हो चुकी हैं।
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रक्त के अभाव में पिता की मौत से विचलित सत्यावती इन दिनों वात्सली निर्भया शक्ति के नाम से संस्था चला रही हैं। वह कहती है, संस्था में दो दर्जन से अधिक सदस्य हैं। सभी सदस्य एक वर्ष में चार-चार बार रक्तदान करते हैं। रक्तदान करने वाले सदस्यों में श्याम राज, शैलेंद्र कुमार गुप्ता, रंजीत कुमार, आदिती कुमारी गुप्ता, विदुषी कुमारी गुप्ता, पीयुष कुमार दांगी, सुधीर कुमार सिंह व अन्य शामिल हैं। रक्तदान के बाद अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में जमा करते हैं। वहां संस्था को कार्ड जारी किया जाता है। किसी मरीजों को रक्त की आवश्कता होती है तो संस्था के सदस्यों से संपर्क करते हैं। उसके बाद उन्हें कार्ड दे दिया जाता है। उसे लेकर आवश्कता के अनुसार रक्त मेडिकल कॉलेज से लेते है। रोगियों को रक्त निश्शुल्क दिया जाता है।