कोरोना वैश्विक महामारी में प्रदेश की अर्थव्यवस्था डगमगा चुकी हैं क्योंकि लाँकडाउन में सभी आर्थिक गतिविधियां बंद होने से सरकार को होने वाली आय में गिरावट हुई और खर्चे बढ़े जिसके चलते आय और व्यय में संतुलन बिगड़ गया क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रारम्भिक दौर में इस महामारी से निपटने के लिए सरकार को दवा, जांच उपकरण और कई ऐसे सामग्री बाहर से मंगानी पड़ी जो कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक थी।इस वस्तुओं के बाहर से मंगाने से सरकार के खजाने पर भार पड़ा हैं।इस खजाने की कमी को पूरा करने के लिए आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की गिरती अर्थ्व्यवस्था को पूनः पटरी पर लाने केलिए सभी तरह के सरकारी खर्चे पर पाबंदी लगा दिया ।जिससे की कोरोना से प्रभावित गरीब और मजदूरों के लिए किये जा रहे कामों में धन की कमी ना हो सके।गहलोत ने वर्ष 2020-21 के बजट की विभिन्न मदों जैसे कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, कम्प्यूटर अनुरक्षण, स्टेशनरी, मुद्रण एवं लेखन, प्रकाशन, पुस्तकालय तथा पत्र-पत्रिकाओं पर व्यय के लिए उपलब्ध धनराशि का व्यय इसी वित्तीय वर्ष से 70 प्रतिशत तक सीमित किये जाने की घोषणा अपने आदेश में किया है। साथ ही, पीओएल मद में स्वीकृत प्रावधान के विरूद्ध व्यय को भी 90 प्रतिशत तक सीमित किया है।
हवाई यात्रा एवं नये वाहन, उपकरण खरीद पर पाबंदी
सरकार ने खर्चे में कटौती की घोषणा करते हुए कहा कि सरकारी कामों के लिए किये जाने वाले हवाई यात्रा को कम किया जायेंगा और जहा तक संभव हो सके तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करने पर बल दिया हैं। हवाई यात्रा के लिए अधिकृत अधिकारी इकोनॉमी क्लास में ही यात्रा करेंगे, एक्जीक्यूटिव एवं बिजनेस क्लास में यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। विमान किराए पर लेना तथा राजकीय व्यय पर विदेश यात्रा पर भी पूरी तरह प्रतिबंध होगा। सरकार ने कोरोना महामारी की रोक थाम ,उपचार तथा पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक एवं उपकरण को छोड़कर अन्य सभी मशीनरी,साज -समान,औजार,संयत्र एवं नई वस्तुओं की खरीद नहीं करने का निर्णय लिया हैं।वहीं नये वाहनों के खरीद को पूर्णयता प्रतिबंधित किया हैं।