Acute encephlitis syndrome(AES)
- आए दिनों बिहार में गई लगभग 200 जान एक वायरस का शिकार हुइ। उसका नाम है ए ई एस। आखिर क्या है ए ई एस वायरस? आइए जानते हैं…..
सब से पहले इसका लक्षण जानते हैं।
जब कोई आदमी इस वायरस से ग्रसित होता है, उसकी पहचान सबसे पहले इस तरह किया जा सकता है। उसका जो दिमाग है उसमें सूजन होने लगता है। सर में दर्द रहने लगता है। आदमी उलझा उलझा रहता है। सर में काफी सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यादाश्त कमजोर हो सकती है या जा सकती है। कॉमा हो सकती है। या फिर मृत्यु हो सकती है ।
इंसेफेलाइटिस, इस बीमारी का कारण दो और वायरस हो सकते हैं निपाह वायरस और दूसरा चांदीपुरा वायरस। जब इस बीमारी का प्रसार होने लगा तो 19 June 2019 को द हिंदू अखबार में दिए गए साक्षात्कार में, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉक्टर जैकब जॉन ने बताया की उन्इहोने गस पर काफी गहन अध्ययन किया है। 2017 में अध्ययन के क्रम में उन्हें पता चला की लिची इसका एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है इस बीमारी का। पर इस को सिद्ध करना अभी बाकी है।
उस समय दो विवादित टॉक्सिन की खोज हुआ जो की लीची के बीज में पाया जाता है, एक का नाम है मिथाईलीन साइक्लोप्रोपिल एसिटिक एसिड (MCPA) , दूसरा मिथाईलीन साइक्लोप्रोपिल ग्लिसरीन(MCPG)। यह दोनों पेट में जाकर मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। जिसके कारण शुगर लेवल बढ़ जाता है और शरीर से होकर दिमाग में जाने वाली ब्लड सेल्स जाम हो जाते हैं।2015 में प्रियंका के अनुसार लीची के बीज हानिकारक हो सकते हैं पर उसका फल खाने में कोई नुकसान नहीं है। अगर सावधानीपूर्वक खाया जाए।
तो क्या लिची इतना ज्यादा नुकसानदायक है कि इस से मृत्यु तक हो सकती है?
जी बिल्कुल नहीं, लिची आप खा सकते हैं। पर सावधानीपूर्वक। खाली पेट लिची का सेवन करना, खतरे से खाली नहीं है।