कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने जो भी कदम उठाये हैं वह सराहनीय कदम माना जा सकता हैं लेकिन इन कदमों का पालन करना भी अहम जरुरी होता हैं।तभी किसी उठाये गये कदम का परिणाम स्वागत योग्य होता हैं।लेकिन भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए उठाये गये कदमों की जमकर अवहैलना और मजाक करते हुए दिखाई देखने को मिल रही हैं।22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनता कर्फ्यू का पालन करने काअवहान करने पर थोड़ा लोगों में कोरोना वायरस से लड़ने और देश से कोरोना को भगाने का जुनुून देखने को मिला लेनिक 22 मार्च के बाद जनता वैसे ही खुले आम सड़को ,पार्क. ट्रेनों और बसों में घुमते और आते -जाते देखे जाने लगे।लांकडाउन की घोषणा के बाउजुद लोगों का आना -जाना नहीं रुक रहा हैं लोगों ने सरकार आदेश और लांकडाउन का उलंघन जमकर कर रहे हैं।ये एक ऐसा वायरस हैं जो एक -दुसरे के संम्पर्क में आने के बाद ही फैलता हैं जबतक कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संम्पर्क में नहीं आयेगा तबतक वह इस वायरस से संक्रमित नहीं होगा। इससे बचने के लिए सरकार ने जनता कर्फ्यू और लांकडाउन जैसे महत्वपुर्ण कदम उठाया हैं।यदि सरकार द्वारा उठाये गये इस कदम की अनुपालना ठीक ढ़ंग से किया जाए तो निश्चित रुप से इस घातक कोरोना वायरस को देश से भगाया जा सकता हैं।
सरकार को चीन, सिंगापुर जैसे देशों से सबक सीखना चाहिए जिन्होंने तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस को रोकने में कामयाब हो गये हैं।जबकि कोरोना वायरस चीन से ही उत्पन्न हुआ था और यही से पुरी दुनिया में तेजी से फैल गया।फिर भी चीन और सिंगापुर ने इस वायरस को आगे फैलने से रोक लिया है। वहा कई दिनों से कोरोना वायरस के एक भी संक्रमित व्यक्ति नहीं पाये गये हैं क्योंकि चीन ने इस वायरस को रोकने के लिए कई महत्वपुर्ण कदम उठाये हैं।
इन उपायों में पूरे हूबे प्रांत और यहां रहने वाले 5.6 करोड़ लोगों को क्वरंटीइन करने (घर से बाहर निकलने और किसी से मिलने जैसी पाबंदियां लगाना) और इस वायरस की चपेट में आए लोगों के इलाज के लिए महज 10 दिनों में एक अस्थायी अस्पताल का निर्माण करना शामिल था.
इन क़दमों से चीन में यह वायरस क़ाबू में आता दिखा लेकिन बाक़ी की दुनिया में यह दो हफ़्तों में ही 13 गुना बढ़ गया.
चीन से क्या सीख सकती है दुनिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रस एडॉनम ने कोरोना वायरस को एक पैनडेमिक (एक ऐसी महामारी जो दुनिया के बड़े हिस्से में फैल चुकी हो) घोषित करते हुए कहा कि इससे निबटने के लिए ‘दुनिया भर के देशों को तत्काल और आक्रामक क़दम’ उठाने चाहिए.
हालांकि जानकारों के बीच एक विवाद ये भी है कि क्या लोकतांत्रिक देशों में भी चीन जैसी पाबंदियां लगा पाना संभव है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डॉक्टर ब्रूस अलवार्ड का कहना है कि दुनिया ने चीन के अनुभव के असली सबक को अभी तक नहीं सीखा है.
उन्होंने कहा, “लोगों को समझाया गया है कि हम किस तरह की बीमारी से जूझ रहे हैं. उन्हें समझाया गया है कि यह कितना गंभीर है और उन्हें इस लायक बनाया गया है कि वो सरकार के साथ मिलकर उठाए गए क़दमों के प्रभावी होने के लिए काम कर सकें.”
सिंगापुर की तारीफ़: विश्व स्वास्थ्य संगठन
वहीं, सिंगापुर ने चीन से सबक लेकर जिस तरह कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखी है, उसकी काफ़ी तारीफ़ हो रही है. सिंगापुर उन देशों में से एक है जहां वायरस का संक्रमण सबसे पहले पहुंचा था.
हालांकि सिंगापुर पूरी मुस्तैदी से संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाने और संक्रमण की कोशिशों में जुटा है. यहां तक कि वहां इस काम के लिए ‘कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग’ और जासूसों का इस्तेमाल किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सिंगापुर की सक्रियता की तारीफ़ की है.