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कोरोना की जंग को जीतने के लिए रात-दिन कई घंटों तक बिना खाये पाये और अपने परिवार से दुर रह कर कोरोना पीडि़तों का इलाज.भर्ती और जांच करने में देश के डाँक्टर,नर्स और पैर मेडिकल स्टाफ अपनी निरंतर सेवाएं दे रहे हैं।अपनी जान की परवाह किये बिना दुसरों की जान बचाने में लगे हुए हैं।ऐसी स्थिति में उनके हौसले को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए जिससे वे लोग बिना घबराये अपना काम करते रहे।
लेकिन कुछ दिनों से देश में डाँक्टरों ,नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ पर जानेलेवा हमले होने लगे हैं।डाँक्टरों पर हो रहे हमलों के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए ) ने आज सांकेतिक प्रदर्शन और काला दिवस मनाने का निर्णय लिया था लेकिन केंद्री गृहमंत्री अमित शाह से डाँक्टरों को पूरी सुरक्षा मिलने का भरोसा दिये जाने पर आईएमए ने अपना धरना प्रदर्शन स्थगित करने का निर्णय लिया हैं।
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अमित शाह ने कहा, ‘हमारे डॉक्टरों की अपने कार्य स्थल पर सुरक्षा और प्रतिष्ठा से समझौता बर्दाश्त नहीं है. हर समय उनके लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. मैंने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि मोदी सरकार उनकी हिफाजत के लिए प्रतिबद्ध है और उनसे प्रस्तावित विरोध पर पुनर्विचार करने की अपील की है.
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सांकेतिक प्रदर्शन को वापस लेते हुए आईएमए ने कहा कि आज हमारी गृह मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों से बातचीत हुई. खासतौर पर गृह मंत्री अमित शाह पूरे मामले को समझ रहे हैं और चिंचिंत हैं. भारत सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का वादा किया है. हमें सरकार पर भरोसा है, इसलिए प्रदर्शन वापस ले रहे हैं.