लद्दाख बाँर्डर पर भारत -चीन के बीच शुरु हुआ सीमा विवाद बातचीत के बाद हिंसक रुप में बदल गया क्योंकि चीन गलवान घाटी को अपना मानता हैं जबकि गलवान घाटी भारतीय सीमा में पड़ता हैं भारत गलवान घाटी के आसपास पक्की सड़क बना रहा जिसको लेकर चीन एतराज कर सड़क निमार्ड़ को रोक दिया और कहने लगा कि गलवान घाटी हमारी सीमा में हैं।इसके बाद चीनी सेना गलवान घाटी के पास टेंट डालकर डट गये और कब्जा करने की दृष्टि से हमारी सीमा में घुसपेट करने की फिराक में बैठे हुए थे।इस मामले को सुलझाने के लिए भारत और चीन की सेना की तरफ से कमांडर स्तर के अधिकारी आपस में बैठक किये ये बैठक कई स्तरों पर हुई उसके बाद 6 जून को दोनो देशों के कमांडिंग आँफिसर के बीच समझौता हुआ कि चीनी सेना अपने पूर्व स्थिति जगह पर चली जायेगी और भारत की सेना भी अपनी जगह पर चली जायेगी।इस समझौतों के तहत भारतीय सेना अपनी जगह पर आ गयी उसके कुछ दिन बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू को और उनके कुछ साथी सैनिक को इस बात का पता लगाने के लिए भेजा गया कि क्या चीनी सेना समझौतें के तहत अपने पूर्व स्थिति जगह पर चली गई हैं कि नहीं।जैसे ही कर्नल संतोष बाबू और उनके साथी गलवान घाटी गये और देखा की चीनी सेना टेंटों में अभी भी मौजुद थी।उनको समझौतें के तहत जाने के लिए कहा तो चीनी सेना संख्या में दुगुने ने कर्रन संतोष बाबू और उनके साथियों पर हमला कर दिया इस हमले में संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गये।
गुस्साए भारतीय सैनिक तो 18 चीनी सैनिकों की तोड़ दीं गर्दनें
गलवान में 15 जून को चीनी सैनिकों के धोखे से हिंसक हमले में अपने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू के शहीद होने के बाद बिहार रेजीमेंट के जवानों का वही रौद्र रूप सामने आ गया। द एशियन एज अखबार ने विभिन्न स्रोतों के हवाले से खबर दी है कि अपने सीओ की शहादत से गुस्साए भारतीय सैनिकों ने एक-एक कर 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं। एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कम-से-कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट चुकी थीं और सर झूल रहे थे। अपने कमांडर की वीरगति प्राप्त होने से गुस्साए भारतीय सैनिक इतने आक्रोशित हो गए कि सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का वो हाल किया कि उनकी पहचान कर पाना भी संभव नहीं रहा।