जयपुर। फ्रांस में कार्टून विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है विश्व के कई इस्लामिक देश इस विवाद में कुद पड़े हैं। गल्फ से लेकर तमाम इस्लमिक देश फ्रांस का विरोध कर रहे हैं। बांग्लादेश में तो वहां के धार्मिक संगठन ने सरकार को अल्टिमेटम तक दे दिया है कि अगर सरकार फ्रांस के दुतावास को बंद नहीं कराती है तो हम दुतावास के एक-एक ईट उखाड़ देंगे।
फ्रांस सरकार आर्थिक नुकसान को लेकर है चिंतित
वहीं इस कार्टून विवाद का विरोध सिरिया, लिबिया से लेकर तमाम इस्लामिक देशों में हो रहा है। कई देशों नें फ्रांस के सामानों का बहिष्कार करना व वापस भेजना शुरू कर दिया है। इस विरोध को लेकर फ्रांस सरकार चिंतित नजर आ रही है और उसे बड़े पैमाने पर अर्थिक नुकसान का अनुमान लग रहा है।
फ्रांस विरोधी प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया
पैगंबर कार्टून विवाद के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की तरफ से पैगंबर मोहम्मद के अपमानजनक कार्टून पर बचाव करने को लेकर मंगलवार को बांग्लादेश में जोरदार प्रदर्शन हुआ। फ्रांस विरोधी इस प्रदर्शन के दौरान हजारों लोगों ने इस मार्च हिस्सा लिया। फ्रांस में एक स्कूल टीचर की तरफ से पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने और उसके बाद उनका सिर कलम किए जाने की सनसनीखेज घटना के बाद मैक्रों ने जिस तरह धर्म के मजाक उड़ाने का बचाव किया था, उसको लेकर दुनियाभर के मुसलमानों में फ्रांस के खिलाफ काफी गुस्सा है।
सीरिया में लोगों ने फ्रांस के राष्ट्रपति की तस्वीरें जलाई, लीबिया की राजधानी त्रिपोली में फ्रांसीसी झंडे को जलाया गया जबकि कतर, कुवैत और अन्य गल्फ देशों में फ्रांस के सामानों को सुपरमार्केट से वापस ले लिया गया।
ढाका में फ्रांस सरकार के खिलाफ भारी प्रदर्शन
ढाका में प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को मार्च करते हुए मैक्रों के पुतले जलाए। पुलिस ने बताया कि इस प्रदर्शन के दौरान करीब 40 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सैकड़ों जवानों को बैरिकेडिंग के साथ लगाया गया, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को फ्रांस दूतावास पहुंचने से पहले ही बिना किसी हिंसा के तितर-बितर कर हटा दिया।
रैली इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की तरफ से बुलाई गई थी
यह रैली इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (आईएबी) की तरफ से बुलाई गई थी, जो देश की बड़ी इस्लामिक पार्टियों में से एक है और यह वहां की सबसे बड़ी मस्जिद से शुरू हुई। बांग्लादेश में करीब 90 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस के सामानों के बहिष्कार के नारे भी लगाए। इस्लामी आंदोलन के एक सीनियर सदस्य अताउर रहममान ने बैतूल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद में रैली को संबोधित करते हुए कहा- “मैक्रों उन कुछ नेताओं में से हैं जो शैतान की पूजा करते हैं।”
रहमान ने बांग्लादेश की सरकार से कहा कि वह फ्रांस के राजदूत को बाहर निकाल दे, जबकि एक अन्य प्रदर्शनकारी नेता हसन जमाल ने कहा, “अगर राजदूत को बाहर जाने का आदेश नहीं दिया गया तो उस इमारत की हर एक ईंट को निकाल कर रख देंगे।” इस समूह के एक अन्य युवा नेता निसार उद्दीन ने कहा- “फ्रांस मुसलमानों की दुश्मन है। जो उसका प्रतिनिधि करते हैं वह भी हमारा दुश्मन हैं।”
गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को फ्रांस के एक स्कूल में चेचन मूल के एक व्यक्ति ने सैमुअल पैटी नाम के स्कूल टीचर की हत्या कर दी थी। उस टीचर ने अपने कुछ छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था। इसी कार्टून के चलते साल 2015 में चार्ली हेब्दो में 12 लोगों की हत्या कर दी गई थी। हालांकि, फ्रांस के राष्ट्रपति ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की आजादी बताते हुए बचाव किया था। जिसको लेकर मुस्लिम देशों में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ काफी नाराजगी है।
मैक्रों से क्यों नाराज हैं मुसलमान?
सैमुअल पैटी की हत्या से फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों बेहद नाराज हुए और उन्होंने पैटी के प्रति सम्मान जाहिर किया। इसके बाद पैटी को मरणोपरांत फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया और इस समारोह में खुद मैक्रों शामिल हुए। उन्होंने इसे इस्लामिक आतंकवाद करार दिया था। कई इस्लामिक देशों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने पैगंबर का अपमान करने वाले को सम्मानित किए जाने की निंदा की।
पिछले हफ्ते मैक्रों की टिप्पणी से मुस्लिम-बहुल देश नाराज हो गए, जिसमें उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के कार्टून के प्रकाशन या प्रदर्शन की निंदा करने से इनकार कर दिया था। फ्रांस धार्मिक व्यंग्य को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आने वाली चीजों में से एक मानता है, जबकि कई मुसलमान पैगंबर पर किसी भी कथित व्यंग्य को गंभीर अपराध मानते हैं।
मैक्रों और मुसलमानों के बीच दरार बढ़ गई थी
पैटी की हत्या से पहले ही मैक्रों और मुसलमानों के बीच दरार बढ़ गई थी जब उन्होंने 2 अक्टूबर को इस्लामिक अलगाववादियों के खिलाफ मुहिम छेड़ने का ऐलान किया और कहा कि केवल उनके देश में नहीं बल्कि दुनियाभर में इस्लाम खतरे में है। उस दिन उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार 1905 के उस फ्रेंच कानून को मजबूत करेगी जो चर्च और राज्य को अलग करता है।
अपने भाषण में, मैक्रों ने दावा किया कि फ्रांस में शिक्षा और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों से धर्म को अलग करने के लिए मुहिम में “कोई रियायत” नहीं दी जाएगी। नया बिल दिसंबर में आने की उम्मीद है।