BJP के इस कद्दावर नेता का निधन, पार्टी में शोक की लहर, ऐसा था उनका राजनीतिक सफर

keshubhai patel

जयपुर। भाजपा के कद्दावर नेता व राज्य में दो बार मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नेता केशुभाई पटेल का निधन हो गया है वे 92 वर्ष के थे। इनके निधन से राज्य में शोक की लहर फैल गई है। केशुभाई पटेल को राज्य में भाजपा को गांव-गांव व शहर-शहर तक पहुंचाने में उनका अमुल्य योगदान रहा है। वे जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनका राजनीतिक जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा और उनकी संघर्ष कभी पार्टी के नेताओ से तो कभी बाहर के नेताओं से रहा।

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उनपर कई तरह के आरोप भी लगते रहे जिसकारण उन्हें कभी-कभी सीएम पद से त्यागपत्र भी देना पड़ा। बाद में भाजपा को छोड़कर एक अपनी पार्टी भी बनाई थी लेकिन वो चली नहीं और अपनी पार्टी को भाजपा में विलय करा दिया।

केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में निधन हो गया

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। गुरुवार सुबह सांस लेने में तकलीफ होने के बाद केशुभाई पटेल को अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि सितंबर के आखिरी में ही केशुभाई पटेल कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के निधन पर गहरा दुःख एवं शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि वे एक लोकप्रिय समाजसेवी व जननेता के साथ संवेदनशील व्यक्ति थे। ईश्चर उनकी आत्मा की चिरशांति प्रदान करें एवं उनके परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करें।

भाजपा से इस्तीफा देकर अलग पार्टी बनाई

केशुभाई पटेल गुजरात में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक केशुभाई पटेल उन लोगों में से थे, जिन्होंने राज्य में भाजपा को खड़ा किया था। 1995 में उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार अपनी सरकार बनाई और वह मुख्यमंत्री बने। मगर अब खराब स्वास्थ्य के चलते सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका कम होती चली गई।

पार्टी से बनते-बिगड़ते रिश्ते

भाजपा से उनके रिश्ते बनते बिगड़ते रहे। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के सात महीने बाद ही उन्हें शंकरसिंह वाघेला से विवाद के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में 1998 में वह फिर से मुख्यमंत्री चुने गए, लेकिन 2001 में उन्होंने पद छोड़ दिया। माना गया कि भ्रष्टाचार और भुज में आए भूकंप के दौरान कुप्रबंधन के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद से लगातार पार्टी से उनके रिश्तों में कड़वाहट आती रही। 2002 में वह चुनाव भी नहीं लड़े और 2007 में कांग्रेस को अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन किया। 2012 में आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अलग पार्टी बना ली। मगर 2014 में वह फिर से भाजपा से जुड़ गए।

केशुभाई पटेल का सियासी सफरनामा

1960: जनसंघ से संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़े
1977: राजकोट से लोकसभा चुनाव जीते
1978-95: कालावाड़, गोंदल और विसावदर से विधानसभा चुनाव जीते
1995: केशुभाई पटेल के नेतृत्व में भाजपा ने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री बने। मगर सात महीने बाद ही इस्तीफा दिया।
1998: केशुभाई पटेल फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने
2001: खराब स्वास्थ्य के चलते इस्तीफा दिया
2002: निर्विरोध राज्यसभा के सदस्य चुने गए
2007: केशुभाई पटेल ने विधानसभा चुनावों में अपने समुदाय से बदलाव के लिए वोट करने को कहा
2012: केशुभाई ने भाजपा से इस्तीफा दिया और गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) का गठन किया
2014: खराब स्वास्थ्य के चलते फिर से विधायक पद से इस्तीफा दिया और पार्टी का विलय भाजपा में किया

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