भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल 39 में से एक चौथाई मौतों को नई दिल्ली के निजामुद्दीन में इस्लामी प्रचारकों के आयोजन से जोड़ा रहा है, जिसके बाद तब्लीगी जमात के आयोजक विभिन्न दिशा-निर्देशों के कथित उल्लंघन को लेकर अधिकारियों के निशाने पर आ गए हैं. मरकज से देश के अलग-अलग हिस्सों में लौटे अधिकांश लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. साथ कुछ की मौत भी हुई है.
इस बीच दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन की मरकज इमारत का वीडियो भी जारी किया है. 26 मार्च के इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच बड़ी संख्या में जमाती वहां किस तरह ठहरे हुए थे. ये वीडियो चौंकाने वाला है
. तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी. तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है.
इस्लाम के 5 बुनियादी सिद्धात का करते हैं प्रचार
पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताये गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत व तब्लीग के लिये समय निकालना) का प्रचार करना होता है. दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी शिकार हो गया है.
कैसे काम करती हैं तब्लीगी जमातें?
दक्षिण एशिया में मौटे तौर पर तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं. जमात सदस्य केवल मुसलमानों के बीच काम करते हैं और उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अपनाए गए जीवन के तरीके सिखाते हैं.
तब्लीग का काम करते समय जमात के सदस्यों को छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता है. हर समूह का एक मुखिया बनाया जाता है, जिसे अमीर कहते हैं. ये समूह मस्जिद से काम करते हैं. चुनिंदा जगहों पर मुसलमानों की बीच जाकर उन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं.