कोरोना वायरस महामारी के दौरान शिक्षा को प्रोत्साहन देते हुए जोधपुर जिले के एक दूरदराज के गांव के छह सरकारी स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके छात्र पढ़ाई से वंचित न रहे जाएं। जिले के ओसियां उप मंडल में बेरडो का बास गांव के पंचायत प्राथमिक शिक्षा कार्यालय के तहत आने वाले स्कूलों के माता पिता और छात्र इन शिक्षकों द्वारा घर पर आकर पढ़ाई की सामग्री दिए जाने से खुश हैं।
प्रतिवर्ष होने वाले दाखिला कराने के कार्यक्रम “प्रवेशोत्सव” की तर्ज पर शिक्षकगण ‘स्कूल चले घर की ओर’ के बैनर तले हर घर जाकर छात्रों को पाठ्य सामग्री और पुस्तकें वितरित कर रहे हैं और पुरानी पुस्तकें भी एकत्र कर रहे हैं। शिक्षक सोमवार से शुक्रवार तक पठन सामग्री वितरित करते हैं और शनिवार को गृहकार्य जांचते हैं और अगले सप्ताह वितरित की जाने वाली पाठ्य सामग्री तैयार करते हैं। बेरडो का बास स्थित उच्चतर माध्यमिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका बीजानि के दिमाग में अपने स्कूल के छात्रों के लिए इस योजना का विचार आया था।
लेकिन पंचायत प्राथमिक शिक्षा कार्यालय की बैठक में तीन उच्चतर प्राथमिक और दो प्राथमिक स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने भी इस अभियान से जुड़ने में रुचि दिखाई। बीजानि ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने का अवसर सीमित होता है, जिसे देखते हुए इस योजना का विचार पनपा। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उनके पास आवश्यक संसाधन नहीं होते जिसके कारण उन्हें समस्या होती है।
उन्होंने कहा कि जिन छात्रों के पास पहनने को चप्पल नहीं है वे ऑनलाइन शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा, “ऐसी परिस्थिति में स्कूल बंद होने से जब न तो ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध है न प्रत्यक्ष रूप से उन्हें कोई पढ़ा सकता है, हमने उनके पास जाने और सहायता करने का निर्णय लिया ताकि जब तक स्कूल नहीं खुल जाते तब तक छात्र पढ़ाई से वंचित न रहें।” स्कूलों के शिक्षक कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के घरों तक जाकर उन्हें पाठ्य सामग्री और पुस्तकें देते हैं और कक्षा नौ से 12 बारह तक के छात्रों के माता पिता को स्कूल आकर सामग्री लेनी होती है।