15 जून की मध्य रात्रि को लद्दाख सीमा के गलवान घाटी में भारत-चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प से भारत के 20 जवान शहीद हो गये और चीनी सेना के 43 जवानों को भी इस झड़प में मार गिराया गया।इस घटना से दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिति नाजुक बनी हुई हैं।दोनों देशों की सेनाएं युद्ध के साज्जों-समान के साथ आमने-सामने हैं।
इस बीच अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने दावा किया हैं कि भारत और चीन की सेना के बीच 15 जून को हुई हिंसक झड़प के आदेश चीन के वरिष्ट जरनल ने दिया था। अमेरिकी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन के पश्चिमी थियेटर कमांड के प्रमुख जनरल झाओ जोंगकी ने गलवान घाटी हमले को मंजूरी दी थी। जनरल झाओ उन कुछ गिने चुने वरिष्ठ जनरल में शामिल हैं जो पीएलए में अभी भी सेवा दे रहे हैं। झाओ ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि भारत, अमेरिका और उसके सहयोगियों के शोषण से बचने के लिए चीन को कमजोर नहीं दिखना चाहिए।
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‘भारत को सबक सीखाना चाहते थे जनरल झाओ’
झाओ पहले भी भारत के साथ हुए गतिरोध पर अपनी नजर रखते थे। सूत्रों ने कहा कि झाओ भारतीय सैनिकों पर हमले के जरिए ‘भारत को सबक सीखाना चाहते थे।’ अमेरिका की यह खुफिया रिपोर्ट चीन के उस दावे के उलट है जो वह पिछले कुछ दिनों से दावा कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों पर हमला किया था।
अमेरिकी रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाता है कि चीन इस हमले के जरिए भारत को अपनी ताकत का संदेश देना चाहता था। हालांकि चीन की यह योजना उल्टी पड़ गई और इस हिंसक झड़प में उसके 40 से ज्यादा सैनिक हताहत हो गए। दरअसल, चीन चाहता था कि इस कार्रवाई के जरिए भारत पर दबाव बनाया जाए ताकि वार्ता की मेज पर भारतीय पक्ष को दबाया जा सके।