जयपुर। यूपीए चेयरपर्सन व कांग्रेस पार्टी के अंतरीम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की हालत पर चिंता जाहीर की और उन्होंन मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। देश में फैले अव्यवस्था, कुशासन, किसानों का प्रदर्शन व सीएए जैसे कानुन को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट किया। उन्होंने मोदी सरकार पर विरोधियों या उनसे भिन्न मत रखने वाले लोगो की आवाज नहीं सुनने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा की मोदी सरकार विरोधियों को दबाने का काम करती है वहीं कानुन व सरकारी संस्थानों का राजनैतिक शत्रुता साधने के लिए उपयोग करती है। मोदी सरकार आर्थिक से लेकर सामाजिक मोर्चे पर बिल्कुल फेल है। आपको बता दें की कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दशहरे के मौके पर ये कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज किया था कि शासक के जीवन में अहंकार, झूठ और वादे तोड़ने की जगह नहीं होती है।
इस तीखी आलोचना के बाद सोनिया गांधी ने एक लेख लिखा है और उसमें मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार को घेरते हुए कहा है कि भारतीय लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है। एक अंग्रेजी अखबार में सोनिया गांधी का ये लेख सोमवार को प्रकाशित किया गया है। इसमें सोनिया गांधी ने लिखा कि ये तो साफ है ही कि अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है।
लेकिन गवर्नेंस का लोकतांत्रिक ढांचा भी खतरे में है। अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को दमन और धमकी के जरिए बहुत ही व्यवस्थित ढंग से खत्म किया जा रहा है। विरोध की आवाज को जानबूझकर ‘आतंकवाद’ या ‘देश-विरोधी गतिविधि’ बताया जा रहा है।
सरकारी एजेंसियां सिर्फ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के ऑफिस के इशारे पर डांस करती हैं
सोनिया गांधी ने लिखा है कि मोदी सरकार और बीजेपी को हर राजनीतिक विरोध के पीछे साजिश नजर आती है। जो लोग विरोध में आवाज उठाते हैं उन्हें जांच एजेंसियों से डराया जा रहा है और मीडिया के कुछ हिस्से व ट्रोल्स के जरिए परेशान किया जा रहा है। इस तरह भारतीय लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है। पुलिस, ईडी, सीबीआई, एनआईए और एनसीबी जैसी एजेंसियों का नाम लेते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि ये एजेंसी सिर्फ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के ऑफिस के इशारे पर डांस करती हैं।
वहीं, एनडीए के पहले कार्यकाल का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने लखा है कि मोदी सरकार ने राजनीतिक विरोधियों को भारत का दुश्मन बनाकर पेश किया। जिन लोगों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई उन पर सख्त कानून के तहत कार्रवाई की गई। इसकी शुरुआत 2016 में जेएनयू के यंग स्टूडेंट्स के खिलाफ राजद्रोह लगाकर की गई। इसके बाद लगातार एक्टिविस्ट, स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों को भी ऐसे ही निशाना बनाया गया। क्योंकि इन लोगों ने सत्ताधारियों के खिलाफ आवाज उठाई। जबकि लोकतंत्र का मतलब वैचारिक मतभेद ही है।
एंटी बीजेपी प्रोटेस्ट को एंटी इंडिया कह दिया
सोनिया गांधी ने लिखा कि सीएए, एनआरसी जैसे मुद्दों पर जब विरोध प्रदर्शन किए गए तो सरकार ने इस कदम को एंटी-बीजेपी की जगह एंटी-इंडिया बना दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि शाहीनबाग समेत देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसने नई मिसाल कायम की और पुरुषों की बजाय महिलाओं ने स्टेज संभाला। विरोध प्रदर्शन को भारी समर्थन मिला।
लेकिन मोदी सरकार ने सीएए विरोधी प्रदर्शन को कोई तवज्जो नहीं दी और दूसरी तरफ दिल्ली चुनाव में अलग रंग दे दिया। मंत्रियों से लेकर बीजेपी नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को धमकी दी। सत्ताधारी दल (बीजेपी) ने ऐसे हालात पैदा किए कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा भड़क गई। जबकि दूसरी तरफ सीएए विरोधी प्रदर्शन के पीछे साजिश बताते हुए पूरे आंदोलन को भारत के खिलाफ बता दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि UAPA जैसे कानूनों में लोगों पर कानून कार्रवाई की गई।
हाथरस पर बीजेपी को घेरा
हाथरस रेप केस पर सोनिया गांधी ने लिखा यूपी सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घिनौनी हरकत की, दलित लड़की का नियमों के खिलाफ जाकर अंतिम संस्कार कर दिया और इंसाफ की मांग कर रहे परिवार को धमकाया गया। जबकि यूपीए के दौरान निर्भया केस को बहुत अच्छे से संभाला गया था।
सोनिया गांधी ने लिखा कि पीएम हमेशा दावा करते हैं कि वो 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन उनकी सरकार सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक विरोधियों, वैचारिक विरोधियों और बीजेपी को वोट न करने वाले लोगों को दोयम दर्ज का नागरिक मानती है। सोनिया गांधी ने लेख के अंत में कहा कि देश के लोग सिर्फ वोटर नहीं हैं, वो ही राष्ट्र हैं, सरकार उनकी सेवा के लिए है, उन्हें परेशान करने के लिए नहीं।