कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय में देशविरोधी नारे लगाने वालों के समर्थन में बिना सोचे समङो खड़े हो गए। उन्होंने यह भी सोचना जरूरी नहीं समझा कि उनके इस अपरिपक्व कार्य से देशविरोधी तत्वों को ऊर्जा मिलेगी। इससे भले ही उन्हें क्षण भर के लिए प्रचार मिल गया हो, लेकिन उनकी पार्टी की छवि दागदार हो गई। यही नहीं कांग्रेस के कार्यकाल में एचसीयू से कई छात्र निष्कासित या निलंबित किए गए हैं। संप्रग के दस वर्ष के शासनकाल में दस छात्रों ने आत्महत्या की, तब न तो राहुल गांधी और न ही माकपा नेता सीताराम येचुरी ने विश्वविद्यालय जाना जरूरी समझा। जेएनयू में भगवान राम का पुतला दहन, दुर्गा की निंदा में पर्चे बांटना, महिषासुर और अफजल के गुणगान का आखिर कोई किस तरह समर्थन कर सकता है। हैदराबाद विश्वविद्यालय और जेएनयू में लगे नारे एक ही तरह के थे। यह जांच का विषय है कि देशविरोधी तत्वों के निशाने पर सीधे-साधे छात्र तो नहीं हैं। हमें यह तथ्य नहीं भूलना चाहिए कि सतत सजगता ही स्वतंत्रता कायम रखती है.
कन्हैय्या लाल की उम्र 28 है मामूली बात है की इसके बाप की उम्र लगभग 50 होगी। देश आज़ाद हुए हो गए 69 साल। उसमे कांग्रेस का शासन रहा 57 साल। तो अपनी ज़िन्दगी के 40 साल इसके पिता ने कांग्रेस के शासन में काटे। आज भी इसका परिवार मात्र 3000 रु महीना पर ज़िंदा है। 40 साल तक कांग्रेस के शासन में जिस आदमी की ओकात 3000 से ज्यादा नहीं हो सकी उसका बेटा सिर्फ दो साल की सरकार के खिलाफ गरीबी और आज़ादी की लड़ाई छेड़ने की बात कर रहा है।
उसने यहा तक कह डाला की सैनिक जम्मू कश्मीर मे रेप करते है.इस बात को बोलने के समय उस को सैनिक की बलिदान याद नही आय.उसी का साथ दे रहे है ह राहुल गांधी .इसलिए राहुल गांधी सबसे बड़े देशद्रोही है.जगत से लेकर खेल जगत और मनोरंजन जगत के लोग भी इस भाषण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जहां हाल ही में टीम इंडिया के स्टार सुरेश रैना कन्हैया कुमार के समर्थन में सोशल मीडिया पर नजर आए थे वहीं अब अर्जुन पुरस्कार विजेता बॉक्सर मनोज कुमार ने कन्हैया के खिलाफ जमकर मोर्चा खोल दिया है।
उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक लेख शेयर करते हुए कन्हैया कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा है कि “रामचन्द्र जी कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा। देशभक्त सुनेंगे ताने-तुनके, देशद्रोही हीरो बन जाएगा, टीवी पे लाईव भाषण सुनाएगा।दोस्तों सोच रहा था इस बारे में बात करुं या नही ? फिर दिल ने कहा कि जब देश की बर्बादी के नारे लगाने वाले ज़ोर-शोर से बोल सकते हैं, भाषण झाड़ सकते हैं तो फिर हम देश के लिए खेलने वाले खिलाड़ी चुप रह गए तो ये भी ग़लत होगा।
दोस्तों कल से देख रहा हूँ कि एक शख़्स जो कल तक देश की बर्बादी के नारे लगाने वालों के साथ खड़ा था या यु कहें उनका नेता था, उसी शख़्स को आज कुछ लोग हीरो बनाने पर तुले हुए हैं । क्या हमारी राजनीति इतनी गिर चुकी है? बहुत से नेता उसे बधाई दे रहे थे, मानो वह देशद्रोह नही देश प्रेम के आरोप में जेल गया हो । कल तक यही नेता कह रहे थे वह ग़रीब है उसका पिता लक़वे से ग्रस्त है , परिवार के पास आय के साधन नही हैं, मात्र तीन हज़ार महीने में घर का गुज़ारा हो रहा है । तो भइया पैंतीस साल का लड़का अपने ग़रीब माँ बाप का सहारा बनने की बजाए ब्रांडिड कपड़े पहन कर फारच्युनर गाड़ी में जेल से निकलता है और फिर बड़े बड़े भाषण देगा तो ग़रीबी दूर हो जाएगी ?
ग़रीबी काम करने से दूर होगी, मेहनत से दूर होगी और देश के लिए कुछ करने से होगी । ग़रीबी के ख़िलाफ अगर ऐसा आदमी भाषण दे रहा हो जिसका पिता बिमारी से बिना इलाज के जूझ रहा हो, जिसकी माँ मुश्किल से 2 वक्त की रोटी बना पाती हो और ऐसे माँ बाप का बेटा एक पैसा अपनी मेहनत से उनको कमा कर नही दे रहा हो, तो मुझे नही लगता कि उस घर की गरीबी कभी दूर हो पायेगी और ऐसे शख्स को हमारी मीडिया इस तरह पेश कर रही है जैसे गरीबी को खत्म करने के लिए भगत सिंह ने जन्म ले लिया हो ।
कल से बहुत से नेता, पत्रकार बंधु और बुद्धिजीवी उसके भाषण की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं । लेकिन क्या किसी ने नोटिस किया कि कितनी खूबी से देशद्रोह के मुद्दे को, अफजलगुरू को शहीद बनाने को और उसकी बरसी पर कार्यक्रम आयोजित कर भारत की बर्बादी के नारों को नजरअंदाज कर दिया गया, दबा दिया गया । क्या कन्हैया ने अपने भाषण में कोई समाधान दिया गरीबी से लड़ने का ? क्या कोई प्लान रखा है कि हम इस तरीके से लड़ेंगे गरीबी के खिलाफ ? तो फिर कैसे अच्छा हो गया उसका भाषण ? क्या ख़ास बात थी उसके भाषण में जो उससे हमारे देश के उस प्रधानमंत्री से भी बड़ी कवरेज देने की कोशिश हो रही है जो 16-16 घंटे काम कर रहा है इस देश के लिए ।
दोस्तों बहुत से सवाल हैं, बहुत सी दुविधाएं हैं लेकिन हमेशा ऐसा ही होता आया है हमारे देश में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी लोग असली मुद्दे से ऐसे भटका देते हैं कि आप और हम जैसे साधारण लोग समझ ही नही पाते कि बात आखिर थी क्या ।लेकिन मैं आप सब से गुजारिश करता हूँ कि इस बार ऐसा न होने दें । और इस सवाल को उठाते रहें कि देश द्रोहियों का साथ देने वालों के साथ क्यों ये लोग, ये राजनेता खड़े हो जाते हैं । क्यों विदेशों की तरह पूरा देश देश को तोड़ने की बात करने वालों के खिलाफ एक साथ नही खड़ा होता ?
हमने एक स्रवे किया है जिस मे हमने लोगो से इस बात पर विचार जाना तो उन लोगो मे से 60 % का विचार था की राहुल ने देशद्रोही का साथ दिया है इसलिए ये भी देशद्रोही है.
हुमलोग अपने देश के साथ है , अपने हिंदुस्तान के साथ है , अपने तिरंगे के साथ है \ जय हिन्द, जय भारत।