मुजफ्फरपुर नगर निगम में फिर से नया घोटाला सामने आया है. सफाई के मद में 7.34 करोड़ रुपए की राजस्व हानि का मामला नगर निगम ने पकड़ा है। महालेखाकार ने सफाई शुल्क में 7. 34 करोड़ रुपए की राजस्व हानि का मामला सामने आने से कई सवाल खड़े किये है। जिसके आधार पर नगर आयुक्त को निर्देश दिया गया है कि इस राजस्व घाटे के लिए दोषियों की सचोट कार्यवाही कर उनसे वसूली की जाए।
इस घोटाले के पहले भी कूड़ा उठाव के लिए ऑटो टिपर खरीदारी में घोटाला पकड़ा था. नगर निगम और वित्तीय अनियमितता का चोली-दामन का साथ है। इस मामले में निगम के कई जन-प्रतिनिधि, सफाई इंचार्ज व अधिकारी लपेटे में आ रहे हैं। इन सब की कड़क तापस और पूछताछ की जायेगी। नगर निगम बोर्ड ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का शुल्क निर्धारित किया था। आवासीय मकान से 30 रुपए, व्यवसायिक संस्थान, शोरूम, ढाबा, रेस्टोरेंट आदि के लिए 250 मासिक दर तय किया था। फिर भी वर्ष 2013 से इस शुल्क की वसूली नहीं की जा रही है। महालेखाकार का मानना है की शुल्क वसूली बंद करने का निश्चित रूप से सफाई की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा होगा। उन्होंने कहा की सफाई सही ढंग से नहीं होने के कारण वसूली बंद कर दी गई होगी। इससे सरकारी राजस्व की हानि तो हुई ही है वहीं शहरवासियों को भी उत्तम सफाई व्यवस्था नहीं मिली पा रही है। नगर आयुक्त संजय दुबे ने बताया कि महालेखाकार की आपत्ति के आधार पर योग्य उत्तर देना रहेगा।
मेयर सुरेश कुमार पूरे शहर में रात-दिन कचरा उठाव के लिए अभियान चलाए जाने का दावा कर रहे हैं। जबकि पूछले एक सप्ताह से पूरे शहर की सफाई व्यवस्था डामाडोल है. दिवाली से लेकर छठ पर्व तक लगातार शहर की सफाई कराने के लिए संकल्पित होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में इस तरह का मामला सामने आने से शहर के लोग भी परेशान है।