“शराब” अगर सोच कर पी जाए तो
“दारू दावा है और मनो तो हानिकारक भी है”
करीबन 2 साल से बिहार में शराबबंदी चल रही है लेकिन 2 साल के भीतर ही नितीश सरकार का रवैया नरम हो गया. इससे शराब माफ़ियाओ की जड़े कितनी जमी हुई और मजबूत है आप अंदाज़ा लगा सकते है. जब बिहार में RJD, JDU और Congress महा-गथबंधन की सरकार थी तब पूर्ण शराबबंदी का फैसला नितीश सरकार द्वारा लिया गया था. इस फ़ैसले का काफी विरोध भी हुआ था पर शराबबंदी के समर्थन में बिहार की सभी महिलाए एक-जुट थी.
सरकार ने कहा था की शराबबंदी लगाने से कई परिवार सुधरेंगे और कई पुरुष शाम को घर जाते वक़्त बौतल की जगह सब्ज़ी का थैला लिए घर जायेंगे. इसलिए शराबबंदी लादना जरुरी है.
सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है की सरकार को राज्य की आय में ज़्यादा नुकशान हो रहा है. और ऐसे में बिहार विकास की रफ़्तार को छू नहीं सकेगा. इसी वजह से सरकार को सिफारिश भेजी गई है की फिर से शराबबंदी को चालू किया जाए. वो भी नये निति-नियम और सख्त कानून के साथ.
नए कानून में शराबबंदी शुरू कराने के लिए लाइसेन्स जरुरी रहेगा. शराब लेने के लिए बायोमेट्रिक थम्ब इम्प्रैशन लिये जाएंगे एवं अधर कार्ड नंबर भी सबमिट करवाना पड़ेगा. जिसके कारण कोई भी मर्यादित तय सीमा से अधिक शराब खरीद नहीं सकेगा और शराब वही बेच सकेगा जिसके पास सरकारी अप्रूवल रहेगा, या तो सरकार द्वारा निर्धारित की गई दुकाने ही शराब बेच सकेगी. हालांकि इस सिफारिश का अमल किया जाता है की नहीं वो तो सरकार के हाथ में है. अंतिम फ़ैसला सरकार ही करेगी.
Reported By: Pankaj Singh