पूरा देश कोरोना महामारी के संकट से जुझ रहा है. कोरोना वायरस का मुकाबला करने में जुटे धरती के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ की हिम्मत, जोश और जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है. ये सभी पूरे संयम के साथ खतरों के बीच अस्पतालों में भर्ती कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुटे हैं. वहीं बाहर भी लोगों को इस जानलेवा वायरस से बचाने के लिए जागरुक कर रहे हैं.
ऐसे ही जोश और जज्बे के साथ पाली में कोरोना वॉरियर की भूमिका बखूबी निभा रही है बाड़मेर जिले के गरल की बेटी एएनएम राजेश्वरी. वह खुद की और पेट में पल रहे मासूम की जान को दांव पर लगाकर कोरोनो महामारी में जनता की सेवा कर अनूठी मिसाल पेश कर रही है. एएनएम राजेश्वरी वर्तमान में पाली जिले के देसुरी उपखण्ड के पहाड़ी इलाके में कोट सोंलकियान में सब सेंटर पर कार्यरत है. 2009 में पोस्टिंग के बाद से इसी गांव में कार्यरत राजेश्वरी अब 9 माह के गर्भ से है. पीड़ा के इस दौर में भी राजेश्वरी का मानव सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ है.
कोरोनो बीमारी के लक्षण समझाने और उन्हें जागरूक करने में जुटी है
तकलीफों के बावजूद राजेश्वरी कोरोना महामारी में इस गांव में घर घर सर्वे कर रही है. दूसरे प्रदेशों से आये 200 से अधिक लोगों को होम आइसोलेट कराया. गर्भावस्था में जहां महिलांए घरों से बाहर निकलने से घबराती हैं वहीं इस परिस्थिति में राजेश्वरी घर घर जाकर लोगों को कोरोनो बीमारी के लक्षण समझाने और उन्हें जागरूक करने में जुटी है.
गांव का साथ नहीं छोड़ सकती
चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने भी राजेश्वरी को अवकाश रहकर आराम करने की सलाह दी, लेकिन उसने कहा जब तक दर्द सहन करने की क्षमता है तब तक वह संकट के इस दौर में गांव का साथ नहीं छोड़ सकती. गांव के लोग हर मुश्किल दौर में उसका साथ देते आए हैं. अब उनकी सेवा करनी है. राजेश्वरी जिस सेंटर पर सेवा दे रही है वहां हर माह 10 से 12 प्रसव होते हैं. लॉकडाउन में प्रसुताओं को दुसरे अस्पतालों में जाने की तकलीफ ना उठानी पड़े इसलिए वह वहीं डटी है. काम के प्रति निष्ठा के चलते राजेश्वरी को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.