अभी हालहि में त्तराखंड रा्ज्य में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के फेसले में यह कहा गये हैं कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। राज्य सरकारें इस पर अपने विवेक से फैसला कर सकती है।को लेकर आये फेसले से देश के चारों तरफ से विरोध की आवाज गुंजने लगी हैं। इस बात से चिंतित केंद्र सरकार ने इस मामले से निपटने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही हैं।इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और संसद में इसे लेकर विधेयक लाने जैसे विकल्प प्रमुख हैं।
यह भी पढ़े:एग्जिट पोट सर्वे का दावा:दिल्ली की सत्ता एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के हाथ में
केंद्र सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पदोन्नती में आरक्षण के उपर उपजे विवाद के कानूनी पहलुओं के हल निकालने के लिए कहा गया हैं।उन राज्यों से भी संपर्क करने के लिए कहा गया हैं।जहा पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद बना हुआ हैं।
यह भी पढ़े:इस फिल्म को लेकर पटना में तीव्र विरोध प्रदर्शन
मौजूदा समय में अकेले उत्तराखंड ही नहीं,बल्कि देश के कई राज्यों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है। इनमें मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्य शामिल है। जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके साथ ही कानूनविदों के साथ भी चर्चा शुरु कर दी गई है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को सक्रियता से लगाया गया है। जबकि पीएमओ के स्तर पर भी मंथन चल रहा है।