वातावरण में नमी से बढ़ सकता हैं कोरोना संक्रमण,रिसर्च में वैज्ञानिकों ने किया दावा

ICMR claims no corona community transmission in India, recovery rate over 50 percent

कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया के देश मिलकर वैक्सीन और दवा बनाने में लगे हुए हैं।लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में सफलता नहीं मिल पाई हैं।वैज्ञानिक भी कोरोना को लेकर तरह तरह के परिक्षण और अनुसंधान में लगे हुए हैं ताजा अनुसंधान में पता चला हैं कि तापमान में जैसे-जैसे नमी कम होती जाएगी संक्रमण का खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा। सिडनी यूनिवर्सिटी और शंघाई की फूडान यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ ने एक रिसर्च में दावा किया है कि तापमान में जैसे-जैसे नमी कम होती जाएगी संक्रमण का खतरा उतना ही अधिक बढ़ जाएगा. उनका कहना है कि कोविड-19 सर्दियों की मौसमी बीमारी बन सकता है.

749 मरीजों पर किया रिसर्च
सिडनी में कोरोना के 749 मरीजों पर रिसर्च कर ये दावा किया गया है. यह रिसर्च 26 फरवरी से 31 मार्च तक की गई जिसमें बारिश, नमी और जनवरी से मार्च के तापमान के आंकड़े एकत्र किए गए थे. महामारी विशेषज्ञों ने मौसम और संक्रमण के अन्य पैरामीटर्स पर जब यह रिसर्च कर कहा कि संक्रमण फैलने में नमी अहम रोल अदा करती सकती है.

सिडनी युनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल वार्ड के अनुसार नमी घटने से वायरस के कण हल्के और छोटे हो जाते हैं।इस लिए संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. चीन, यूरोप, उत्तरी अमेरिका में यह महामारी सर्दियों के दिनों में फैली.

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नमी कम होने से वायरस के कण छोट हो जाते हैं
शोधकर्ताओं ने दावा किया है नमी घटती है और हवा शुष्क होती है तो वायरस के कण और छोटे और हलके होने लगते हैं. इसी कारण वो वातावरण में लंबे समय तक बने रह सकते हैं. इस दौरान किसी के छींकने या खांसने पर ये हवा में मिल जाते हैं. वहीं, जब हवा में नमी बढ़ती है तो ये कण बड़े और भारी होने के कारण नीचे गिर जाते हैं.

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मंगलवार को भी दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी बनी रही और कुल 1,10,000 से ज्यादा नए केस सामने आए हैं. इसके बाद कुल मामलों की संख्या बढ़कर अब 64,74,000 से भी ज्यादा हो गई है. बीते 24 घंटे में संक्रमण से दुनियाभर में 4500 से ज्यादा मौतें हुईं हैं और कुल मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब 3,81,700 से भी ज्यादा हो गया है.

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