दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके को कोरोना का केंद्र बना देने वाला तबलीगी जमात खुद को बेकसूर बता रहा है, लेकिन ये तारीखें बताती हैं कि कैसे उसकी लापरवाही की सजा अब देश भुगत रहा है।दिल्ली से लेकर तेलंगाना, अंडमान तक जानलेवा कोरोना वायरस को फैलाने वाली तबलीगी जमात का दावा है कि उसने सरकार के निर्देशों का पहले दिन से पालन किया, ऐसे में उसे कोरोना फैलने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। दिल्ली के निजामुद्दीन में कोरोना पर सरकार के निर्देशों के नजरंदाज कर धार्मिक सभा करने वाले जमात के नेता अब इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। हालांकि अब उस पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी हो रही है।
आइए तारीखवार समझते हैं कि तबलीगी जमात का दावा किस कदर खोखला है उसने न सिर्फ अपने परिवारवालों को खतरे में डाला, बल्कि पूरे देश में कोरोना के खतरे को अचानक बेहद बढ़ा दिया है।
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12 मार्च
देश में कोरोना का खतरा बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने राजनयिक, रोजगार को छोड़ सभी तरह के वीजा 15 अप्रैल तक कैंसल किए। केंद्र सरकार का यह आदेश 13 मार्च की आधी रात से लागू हुआ। तबलीग के प्रवक्ता अशरफ के मुताबिक निजामुद्दीन दरगाह में मजमा चार महीने से चल रहा था, इसे अचानक बीच में रोका नहीं जा सकता था। यह कुछ ऐसा ही जैसे रेलवे स्टेशन में लोग आते-जाते रहते हैं। अशरफ यह भी दावा करते हैं कि 12 तारीख को सरकार के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया गया। ऐसे में जमात में मिले 300 विदेशी अब शक के घेरे में है। सरकारी अधिकारियों को शक है इनमें से अधिकतर ने वीजा नियमों को तोड़ा है।
17 मार्च
कोरोना के बढ़ते असर के बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने भी एहतियाती उपाय शुरू कर दिए थे। 17 मार्च को दिल्ली में नाइट क्लब और स्पा भी बंद कर दिए गए थे। इसके साथ ही 50 लोगों के एक साथ जमा होने पर भी रोक लगा दी गई थी। केजरीवाल सरकार ने स्पष्ट आदेश दिया था कि इसके दायरे में सभी राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रम आएंगे। लेकिन इसके बावजूद निजामुद्दीन दरगाह से सटे तबलीगी जमात की छह मंजिली इमारत में जलसा लगातार चलता रहा। इस इमारत में 2 हजार लोगों के रहने की व्यवस्था है।
19 मार्च
इसके दो दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर नया आदेश जारी किया था। इसमें अपने पहले के आदेश को और सख्त करते हुए दिल्ली में 20 से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर लोक लगा दी गई थी। जमात दावा कर रहा है कि उसने लोगों को वापस भेजना शुरू कर दिया, लेकिन वहां जितनी तादाद में अब लोग मिले हैं, उससे साफ जाहिर है कि इस निर्देशों को ठेंगा दिखाया गया था।
22 मार्च
इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना को लेकर बड़ा निर्णय आया। पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च से जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। लोगों को दिनभर घर में रहने की हिदायत दी गई, जिसे देशभर में जबर्दस्त समर्थन मिला। जाहिर है जमात ने इस निर्देश को भी नजरंदाज किया। सैकड़ों लोग जमात की बिल्डिंग में जमे रहे, जबकि अब तक इस बिल्डिंग को खाली कर दिया जाना चाहिए थे।
24 मार्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के खतरे के खिलाफ निर्णायक जंग के लिए 24 मार्च से देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया। इसके तहत सभी लोगों के लिए सख्त निर्देश थे कि वे अपने घरों में रहें। लेकिन जमान ने इसका भी पालन नहीं किया। हालांकि जमात के प्रवक्ता हफ्तेभर बाद मस्जिद से सैकड़ों लोगों के मिलने पर सफाई दे रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण लोग घर नहीं जा पाए। ऐसे में उल्टा सवाल जमात पर ही उठ रहा है कि आखिर ऊपर दी गई तारीखों में मिले निर्देशों का उसने पालन क्यों नहीं किया और दरगाह को को खाली क्यों नहीं कराया
30-31 मार्च
निजामुद्दीन मरकज में1033 लोग रहते मिले। अधिकतर में कोरोना को लक्षण थे। 24 कोरोना पॉजिटिव मिले। 700 को क्वारंटाइन किया गया है। अनुमान है कि इस मरकज में लगभग 1500 से 1700 लोग ठहरे हुए थे। यहां कश्मीर, अंडमान, सऊदी, थाइलैंड, इंडोनेशिया से लोग जुटे थे। यहां से तेलंगाना लौटे छह लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही तेलंगाना और तमिलनाडु में निजामुद्दीन के मरकज से गए लोगों की तलाश जारी है।