दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निजामुद्दीन मरकज में लापरवाही करने वाले पर लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल LG को पत्र लिखा हैं। इससे पहले सोमवार की रात दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सतेन्द्र जैन ने भी एफआईआर के लिए एलजी को पत्र लिखा था. सूत्रों की मानें तो जल्द ही हजरत निजामुद्दीन थाने में एफआईआर दर्ज हो सकती है. वहीं मरकज का दावा है कि वो इस पूरे मामले में पल-पल की जानकारी दिल्ली पुलिस और सरकार के नुमाइंदों को दे रहे थे।
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वही मरकज के वकील फैजुल अय्यूबी का कहना हैं कि मरकज की ओर से एसडीएम को कफर्यू पास के लिए पत्र लिखा गया था।जिसमें 17 गाड़ियों की मांग की भई थी ताकि दूर रहने वाले लोगों को उनके घरों तक भेजा जा सके. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन के चलते कहीं भी निकलना मुश्किल हो गया था. ट्रेन तक बंद हो चुकी थीं, जिससे दूर-दराज से आए हुए लोगों को भेजना मुश्किल था. 26 मार्च को हमें एसडीएम दफ्तर बुलाया गया और डीएम से भी बात कराई गई.
एडवोकेट अय्यूबी का कहना है कि 25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल टीम मरकज़ में आई थी. उन्होंने लोगों की जांच की थी. 27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब हो गई. उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया. 28 मार्च को एसडीएम और डब्ल्यूएचओ की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई. उन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया.
मरकज में शामिल हुए 16 देशों के लोग
इस बीच निजामुद्दीन मरकज में विदेशी नागरिकों के मामले में एक बड़ा खुलासा यह हुआ है कि इसमें देश के विभिन्न राज्यों के अलावा 16 अलग-अलग देशों के नागिरक भी शामिल हुए थे. तब्लीगी जमात में शामिल होने के लिए नेपाल, मलेशिया, अफगानिस्तान, म्यांमार, अल्जीरिया, जिबूती, किर्गिस्तान, इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, इंग्लैंड, सिंगापुर, फिजी, फ्रांस और कुवैत के नागरिक आए थे. मरकज़ से निकाले गए लोगों को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है.