मित्रता परेशान होने और करने के लिए नहीं…

जिंदगी में बहाने बहुत हैं कि उसने परेशान कर दिया, उसकी वजह से डिस्टर्व हो गए. इसलिए नहीं पढ़ सकें, उसलिए नौकरी नहीं हुआ ये सब फलाना-ढ़िमकाना, ई सबके सब बच्चों वाली बकवास हैं. सबसे अधिक आपको परेशान वैसे लड़के करेंगे जो दिनभर तरह-तरह के लोगों से फोन पर झेंपते रहेंगे और आपको भी गप्प में उलझा कर रखना चाहेंगे. उनके जीवन का बस एक ही सिध्दांत होता हैं कि न पढ़ें हैं, न पढ़ेंगे और न पढ़ने देंगे. एक और एक खास बात अगर, ये लोग आपके साथ हैं तो ये कल को आप से ज्यादा सफल होंगे क्योंकि ये बरे बेशर्म टाईप के होते हैं, ये लोग भविष्य में नेता, नेता के चमचा, दलाल , ठेकेदार, वगैरह-वगैरह कुछ भी बन कर अपना जीवन जी लेंगे और आप ये सब नहीं कर सकते क्योंकि आप इज्जतदार हैं. इज्ज़त का बोझ भईया गरीबी, बेरोजगारी और परिवार के बोझ से कई सौ गुणा बड़ा होता. अरस्तु टाईप किसी व्यक्ति ने इसकी परिभाषा नहीं दी नहीं तो स्कूल कॉलेज के सिलेबस में भी पढ़ना पड़ता. मेरे विचार से आधुनिक जीवनशैली में आदमी को हमेशा तय कर लेना चाहिए कि उसे कितना हद तक इज्जतदार या शरीफ़ रहना हैं.

आप अपने कमरे पर ऐसे मित्रों को महिनों रखिए पड़े रहेंगे, क्योंकि इनका एक ही मिशन हैं. शिक्षे तुम्हारा नाश हो, तुम नौकरी के हित बनी। अगर आप ऐसे लोगों से मित्रता बचाने की कोशिश कर रहें हैं तो आप पतन की ओर अग्रसर हैं. ऐसे मित्र आपको मुफ्त की सलाह दिन भर देंगे फोन न चलाओं, क्या करते रहते हों दिन भर, पढ़ो. कहीं भूलवश आपने पढ़ना शुरू किया इनको भनक लग गई, तो तपाक से बोलेंगे घूमने चलों आगर आपने नाकड़-नुक्कड़ किया तो ये आंख दिखाते हुए अपने एहसान गिनाने लगेंगे और एक फिर आप इनके एहसान के बोझ से दब जाएंगे.

कोई आपके लिए कुछ नहीं कर रहा हमेशा ध्यान रखिए, कोई एहसान! कभी किसी पर नहीं कर रहा, सिर्फ अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा हैं, समाजिक दायित्व, नैतिक दायित्व या विधिक दायित्व और इन सभी में उन्हें कुछ न कुछ मिलता ही हैं. जैसे अच्छे कर्म से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं, तो वैसे मित्र को स्वर्ग मिलेगा जो आप पर एहसान कर रहा हैं, और आप एहसान नहीं मान रहे आपको नर्क मिलेगा लेकिन नर्क में ए०सी० लगी होगी. इसलिए चिंता मत किजिए.

कैसे छुटकारा पाएं? इनका नमन किजिए और बोलिए समय मेरा हैं मुझे तय करने दो की इसे कैसे बर्बाद करे, तुम चिंता मत करो मेरी, मेरी चिंता करने के लिए घरवाले हैं. कभी मत सोचें कि कहीं सफल नहीं हो पाएं या इनकी कोई जरुरत आ गई. मुश्किलें आतीं-जातीं रहती हैं तुम कोशिश करो या न करो तुम्हें पार हो ही जाना हैं. चाहें तैर कर या डूब कर, खतरा तैरने में भी हैं और न तैरने में भी,क्योंकि ये जिंदगी का वो रंगमंच हैं जहां बड़े-बड़े तैराक डूब जातें हैं. खुश रहना हैं चिंता त्याग दो और मार्ग खोजों अंधेर से बाहर निकलने का.

असफल होना भी अच्छा हैं बशर्ते मेहनत लाजबाव हो, कई बार नदी पहाड़ का सीना चीर अपना रास्ता नहीं बना पातीं हैं, लेकिन जब भी उस पहाड़ को नजदीक से देखोगे तो नदी की मेहनत साफ झलकती हैं, वो पत्थर को तराश देती हैं.

अंत में समय मेरा हैं मुझे तय करने दो मैं इसे कैसे बर्बाद करता हूं, तुम अपना रास्ता नापों, मेरा रहनुमा बनने की कोशिश मत करो…! और ध्यान रखों! हम से सब हैं, बाकी सब मोह-माया हैं…

 

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