35 से 40 की उम्र के बाद बायलॉजिकल केमिस्ट्री के लिए जांचें करानी चाहिए। डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, थायरॉइड सहित कुछ जांचें करानी चाहिए। समय पर जांच से बीमारियों की पहचान अर्ली स्टेज में होती है। इससे इलाज के दौरान जल्दी रिकवरी होती व पैसा भी बचता है। देर से बीमारी की पहचान होने के बाद इलाज मुश्किल होता है।
जिनके परिवार में अनुवांशिक बीमारी है उस परिवार को समय -समय पर उस आनुवांशिक बीमारी के बारे में प्रत्येक व्यक्ति को टेस्ट करवाते रहना चाहिये।जिससे की उस आनुवांशिक बीमारी से बचा जा सके।समय से पहले बीमारी की पहचान से इलाज आसान हो जाता है। इसके अलावा साल में एक बार या चिकित्सक की सलाह से जांचें करा लेनी चाहिए।
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जांच से पहले रखे ये सावधानियां:
जहां आप टेस्ट कराने जा रहे हैं वहां टेस्ट की रिपोर्ट लैबोरेटरी क्वालिटी पैरामीटर और जांच के दौरान सभी स्टैंडर्ड पैरामीटर के बारे में पता कर ले। जांच कराने से पहले यह देख लें कि लैब एनएबीएल प्रमाणित है या नहीं। एनएबीएल लैब के पैरामीटर की जांच कर प्रमाण पत्र देती है। रिपोर्ट पर संदेह हो तो पहले लैब के डॉक्टर से बातचीत करें। चिकित्सक की परामर्श से दूसरी लैब से दोबारा जांच कराएं
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।35 से 40 की उम्र के बाद बायलॉजिकल केमिस्ट्री के लिए जांचें करानी चाहिए। डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, थायरॉइड सहित कुछ जांचें करानी चाहिए। समय पर जांच से बीमारियों की पहचान अर्ली स्टेज में होती है। इससे इलाज के दौरान जल्दी रिकवरी होती व पैसा भी बचता है। देर से बीमारी की पहचान होने के बाद इलाज मुश्किल होता है।