आज बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर में स्थित एसकेएमसीएच का दौरा किए हैं। जिसमें उन्होंने डॉक्टरों के साथ मीटिंग किया और बीमारी से पीड़ित बच्चों का जायजा लिया सीएम के दौरे को लेकर एक सकारात्मक पहलू शहरवासियों के बीच रहा। पर बात वही का वही है कि अगर सिर्फ एक व्यक्ति, एक राजनीतिक चेहरा या फिर एक राजनेता के आ जाने से अगर इस बीमारी का जड़ से निजात हो जा रहा है
यह बहुत अच्छी बात है, पर ऐसा हो नहीं सकता है। इस बीमारी का वजह जानने का अभी कोई संसाधन मुजफ्फरपुर में उपलब्ध नहीं है ना ही पटना में है। बस गिनती के कुछ हॉस्पिटलों में इस तरह के जाँच केद्र है। जहां पर इस तरह के वायरस की जांच हो सकता है। बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन आज उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जी भी आए थे।
घोषना करके गए कि हम यहां पर एक प्रयोगशाला बनवायेंगे जिसमें बीमारी के कारणों का पता लगाया जाएगा। सवाल वहीं है कि आखिर इतने दिनों से क्या हो रहा था? क्यों जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा था? कि हमने स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है आज प्रधानमंत्री अपने हर कार्यक्रम में बोलते हैं कि पिछले शासन की तुलना में हमारे शासनकाल में स्वास्थ्य सेवाओ में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की गई है उसका एक नमूना वह प्रधानमंत्री जन आरोग्य सेवा को बताते हैं।
जिसके तहत वह 500000 तक फ्री इंश्योरेंस कवर देते हैं। हर बीमारी में। अगर अस्पताल होगा ही नहीं, सुविधा होगी नहीं तो हम पैसे लेकर क्या करेंगे? पैसे से किसी की जिंदगी बस जाती तो आज यहां सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले में 200 से ज्यादा जो मृत्यु हो चुकी है वह नहीं होता। यह सब कारण यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या सरकार हमारे बारे में सोचती है? सरकार की निगाह में हम लोग हैं? अगर नहीं है तो कब आएंगे? सरकार हमारे प्रति जागरूक होगी? सीएम साहब का एक दौरा कर लेने से यह सारे मामले निबट नहीं जाएंगे। इसकी गहराई तक जांच की जानी चाहिए।