बिहार में इन दिनों तेज ठंड और शीतलहर का दौर चल रहा हैं। सभी जिल तेज ठंड और शीतलहर की चपेट में हैं। ठंड को देखते हुए सभी स्कूल बंद कर दिये गये हैं। इस ठंड का असर छोटे माशुम बच्चों के उपर दिखाई दे रहा हैं। जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में बड़े और छोटे की लम्बी कतारे देखने को मिली रही हैं। और पढ़े:दो पक्षों में खुनी संघर्ष,दस की हालक गंभीर
मुजफ्फरपुर जिले में ठंड की चपेट में आने से 45 मासुम बच्चों की मृत्यु हो गई। अकेले एसकेएमसीएच में 25 व केजरीवाल में 20 से अधिक नवजातों की मौत हई है। ये सभी बच्चे एक से दो दिन के जन्मे हुए बताये जा रहें हैं। दोनों अस्पतालों के रिकाँर्ड देखने से पता चला है कि दिसंम्बर माह में कड़ाके की ठंड से अस्पताल में 260 नवजात बच्चे भर्ती किये गये। इसमें से 60 फिसदी ग्रामिण इलाको के थे।जिनको काफी सिरीयस हालत में भर्ती कराया गया थै। डाँक्टरों का कहना हैं कि ठंड के कारण नवजात बच्चों को हाइपोथर्मिया नाम बीमारी से इंफेक्सन हुआ था। जिनकी चपेट में आने से इन नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई। बताया जाता है कि जिन नवजात बच्चों की मृत्यु हुई हैं बह अधिकतर ग्रामिण क्षेत्रों और अर्द्धशहरी क्षेत्रों के सरकारी और निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चे थे। और पढे:इस युवा नेता की हत्या के विरोध में निकाला कैंडल मार्च
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला बच्चों की मौत के लिए हमेशा सुर्खियों में बना रहता हैं। इस जिले में बच्चों की मृत्यु का अभी तक कोई सही कारणों का पता नहीं चल पाया हैं। सरकार के पास भी कोई सही सूचना उपल्बंध नही है कि जिले में इतने बच्चे जल्दी किसी बीमारी के चपेट में कैसे आ जाते हैं। मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफलाइटिस जिसे चमकी बुखार कहा जाता हैं कि चपेट में पिछले कई सालों से बच्चों की मौत होने की खबरे आती रहती हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालते तो, साल 2014 में इस बीमारी के कारण 86 बच्चों,2015 में 11, 2016 में चार,2017 में चार,2018 में 11 बच्चों की मौत हुई थी। जिले में हो रही बच्चो की मृत्यु पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता हैं और इस प्रकारी की बीमारी की रोक थान करने के लिए समुचित कदम उठाना चाहिए। इस संबंध में किसी की लापरवाही को बरदास नही किया जाना चाहिए ।